कोलकाता: जादवपुर विश्वविद्यालय (Jadavpur University) में बांग्ला विभाग के प्रथम वर्ष के छात्र स्वप्नदीप कुंडू की रैगिंग की वजह से हुई मौत मामले को लेकर मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में जमकर हंगामा हुआ. लंबे समय तक स्थगित रहने के बाद विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही मंगलवार से दोबारा शुरू हुई है.
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा की तरफ से जादवपुर कांड को लेकर चर्चा के लिए प्रस्ताव लाया गया. नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) ने कहा कि जादवपुर विश्वविद्यालय (Jadavpur University) देशद्रोही शक्तियों का केंद्र बन गया है. यहां उग्रवादी संगठन सक्रिय है.
उन्होंने राज्य सरकार की विफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लुर ने यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने और पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया गया.
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि उन्होंने 17 विधायकों के साथ मारे गए छात्र के मां-बाप से मुलाकात की. उन्होंने जानना चाहा कि आखिर हाई कोर्ट के निर्देश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया? राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को इस पर जवाब देना होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती ने बताया है कि वह सीसीटीवी कैमरा लगाना चाहते थे लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही राज्य सरकार ने उन्हें हटा दिया. इसके पीछे क्या राज है? विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर देशविरोधी गतिविधियां होती हैं, इसके लिए सरकार क्या कुछ कार्रवाई कर रही है?
शुभेंदु अधिकारी के प्रश्नों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि जिस परिवार ने अपना बेटा खो दिया है उसे लौटाना तो किसी के वश में नहीं है. 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने एंटी रैगिंग कमेटी के लिए निर्देश दिया था क्योंकि वर्ष 2002 में हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरी के छात्र की रैगिंग के दौरान मौत हो गई थी.
उसी समय राघवन कमेटी ने एंटी रैगिंग कमेटी की सिफारिश की थी जिसे सभी विश्वविद्यालय में लागू करना अनिवार्य किया गया था. इसके बाद भी देश भर के विश्वविद्यालयों में रैगिंग कायम है. खड़गपुर में भी रैगिंग हुई है.
इसके बाद उन्होंने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल को इसके लिए सीधे तौर पर दोषी ठहराते हुए कहा कि हमारे राज्य में नए राज्यपाल आए हैं. वह अपनी मनमर्जी से कुलपतियों की नियुक्ति कर रहे हैं.
इस पर भाजपा विधायक हंगामा करने लगे और कहा कि विषय मत बदलिए. रैगिंग पर बात करिए.
इसके बाद बसु ने कहा कि राज्यपाल एक निर्देशिका भेज सकते हैं जिसे लागू करने का काम विश्वविद्यालय प्रबंधन का है। वह कभी कुलपति को नियुक्त कर रहे हैं तो कभी हटा रहे हैं और इसी बीच यह घटना हुई है. इसके लिए पूरी तरह से राज्यपाल जिम्मेवार हैं. विश्वविद्यालय परिसर में मादक पदार्थों के सेवन का जिक्र करते हुए ब्रात्य ने कहा कि यह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का दायित्व है.
इसके बाद भाजपा विधायकों ने कहा कि राज्य के पास भी नशाखोरी रोकने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था है. भाजपा विधायक नारेबाजी करने लगे और आरोप लगाया की ब्रात्य बसु राज्य सरकार की जिम्मेवारियों को दूसरों के माथे मढ़कर ओछा आचरण कर रहे हैं. इसके बाद भाजपा विधायक नारेबाजी करने लगे और सदन से वाकआउट कर बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
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