नई दिल्ली: लोकभवन में आयोजित मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना से संबंधित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि फेलोशिप योजना के तहत प्रदेश में कार्यरत शोधार्थी स्वयं को योजक के रुप में मानकर पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करें.
यह बात उन्होंने अपने संबोधन में कही. उन्होंने कहा कि देखें कि आपके विकास खंडों में शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान, महिला और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कैसे बेहतरीन काम किया जा सकता है.
जो शोधार्थी कड़ी मेहनत और लगन से अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और बेहतरीन शोध प्रबंधन लिखकर प्रस्तुत करेंगे, उसे सरकार द्वारा सरकारी नौकरी में आयु सीमा में छूट के साथ-साथ वेटेज भी दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि 2018 में नीति आयोग ने देश के 112 जिलों को आकांक्षात्मक जिलों के रूप में चुना था. इनमें उत्तर प्रदेश के आठ जिले सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराईच, चंदौली, सोनभद्र, चित्रकूट और फतेहपुर जिले शामिल हैं. ये वो जिले थे जो विकास की मुख्यधारा से पीछे छूट गये थे.
ये जिले शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और जल संसाधन, रोजगार, कौशल विकास, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में पिछड़ गए थे. लेकिन खुशी की बात है कि टीम वर्क और नियमित मॉनिटरिंग के कारण आज हमारे 8 में से 4 जिले देश के टॉप 10 आकांक्षात्मक जिलों में हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारे पास फंड और मैन पावर की कमी नहीं है. हमारे जो शोधकर्ता अपने-अपने विकासखंडों में तीन वर्षों के लिए फेलोशिप पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें फैसिलिटेटर के रूप में कार्य करना चाहिए.
यह सुनिश्चित करें कि हम सरकार की योजनाओं को जनता से कैसे जोड़ सकें. सभी शोधार्थियों का लक्ष्य होना चाहिए कि जब तक उनकी फेलोशिप अवधि समाप्त हो, तब तक उनका ब्लॉक सर्व शिक्षा अभियान में 100 प्रतिशत हो, उनका ब्लॉक टीबी मुक्त हो.
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