- श्री सीमेंट के कारोबारी स्थलों पर आयकर सर्वे का मामला
- अब कम्पनी संचालकों के होंगे स्टेटमेंट दर्ज
- आयकर सर्वे में पकड़ी थी 9000 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी
- सर्वे में देश की सबसे बड़ी वित्तीय गड़बड़ी पकड़ने का किया विभाग ने दावा
- पावर प्लांट में मुनाफा दिखा आयकर छूट का लाभ उठाने का दावा
विमल कोठारी
जयपुर: देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के हाल ही समाप्त हुए आयकर सर्वे में मिली गड़बड़ियों को लेकर कम्पनी संचालकों से सवालों का दूसरा दौर अब अगले सप्ताह फिर शुरू होगा। आयकर अधिकारी इस मामले को लेकर कम्पनी के प्रबंध निदेशक नीरज अखोरी, संयुक्त प्रेसिडेंट (कॉमर्शियल) अरविंद खींचा और ऑडिटर फर्म के भागीदार विजय शाह से गत 4 से 6 जुलाई के बीच सवाल-जवाब कर चुके हैं।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आयकर विभाग में पिछले सप्ताह हुई पूछताछ में मौजूद कम्पनी के आला अधिकारी अनेक सवालों के जवाब देने में असमर्थ नजर आए और उन्होंने समय दिए जाने की मांग की। कम्पनी के अधिकारियों की मांग पर विभाग ने उन्हें अगले सप्ताह फिर हाजिर होने का समय दिया है। संभावना है कि इन अधिकारियों के अलावा कुछ और अधिकारियों को भी इस बार बुलाया जा सकता है, जिसमें कम्पनी के चेयरमेन हरिमोहन बांगड़ का नाम भी शामिल हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि बांगड़ ने जयपुर आ कर अपना स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने को लेकर पूर्व में आयकर अधिकारियों के समक्ष असमर्थता व्यक्त की तो अधिकारियों ने उनसे स्टेटमेंट के लिए कोलकाता पहुंचने का विकल्प दिया, लेकिन कोलकाता में होने वाले स्टेटमेंट के विकल्प को बांगड़ ने ही अस्वीकार कर दिया और बाद में उन्होंने जयपुर कार्यालय में पेश होने की बात कही।
उल्लेखनीय हैं कि आयकर विभाग की ओर से 21 जून को देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के ब्यावर में दो, नवलगढ़ में एक, पानीपत, कोलकाता और गुरुग्राम स्थित कम्पनी के व्यवसायिक ठिकानों पर आयकर कानून की धारा 133-ए में आयकर सर्वे की कार्रवाई की शुरू की, जो करीब एक सप्ताह चली। आयकर सर्वे में विभागीय अधिकारियों ने करीब 9000 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं और इस राशि पर आयकर देय होने के बावजूद नहीं चुकाए जाने का दावा किया है। चूंकि आयकर विभाग ने आयकर सर्वे की कार्रवाई की अत: कम्पनी पर देय आयकर भुगतान की देयता की प्रतिशतता भी आयकर सर्च की कार्रवाई की तुलना में कम है। श्री सीमेंट ने पिछले दस साल में आयकर (कॉरपोरेट टैक्स) के रूप में सरकार को कोई राशि जमा नहीं कराई, जो भी भुगतान किया वह मैट (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) के रूप में किया, जिसका समायोजन एक निश्चित समयावधि में आयकर की देयता पर किया जा सकता है। बताया जाता है कि कम्पनी के खातों में वर्तमान में करीब 2500 करोड़ रुपए की राशि मेट के खाते में जमा है। चूंकि अधिकारियों ने कम्पनी के यहां 9000 करोड़ की राशि पर आयकर देयता का आंकलन किया है, ऐसे में मैट के रूप में जमा 2500 करोड़ का समयोजन किए जाने की दशा में भी कम्पनी पर एक हजार करोड़ रुपए से अधिक व देय हो चुके आयकर पर आयकर कानून के प्रावधानों के अनुसार ब्याज का भुगतान करना होगा। जिसे चुकाना कम्पनी के लिए दुष्कर होगा। बताया जाता है कि आयकर सर्वे में मिले दस्तावेज व प्रमाणों के आधार पर अधिकारियों का शिकंजा इतना कड़ा है कि कम्पनी प्रबंधन के पास कहने को कुछ नहीं और पिछले कई सालों से आयकर नहीं चुकाने की आदत के चलते अब देय आयकर चुकाने की हिम्मत भी नहीं। अब कम्पनी प्रबंधन आयकर सर्वे के इस मामले ठण्डा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि अधिकारियों का दावा है कि ठोस प्रमाणों के कारण कम्पनी प्रबंधन के पास ब्याज सहित बकाया आयकर चुकाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि कम्पनी की ओर से आयकर छूट के दावों के लिए दस्तावेज में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सोलिड वैस्ट मैनेजमेंट आदि पर खर्च दिखा कर आयकर कानून में मिलने वाली छूट का दावा भी कर लिया, लेकिन यह सब जमीनी हकीकत में नहीं मिले, ऐसे में इन दावों के खारिज होने और इस आधार पर आयकर वसूली की पूरी संभावनाएं है। यह भी गौरतलब है कि कम्पनी की ओर से आयकर अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज में ही यह प्रमाणित हो रहा है कि कम्पनी ने पावर प्लांट को आयकर कानून में मिलने वाली छूट का बेजा लाभ उठाने के लिए पावर प्लांट के खर्च को भी कम दिखाया और इन प्लांट से अधिक लाभ अर्जित कर भरपूर आयकर छूट ली। इसके लिए श्रमिकों व कर्मचारियों के वेतन तक को समायोजित करने से भी गुरेज नहीं की गई। इसी तरह की वित्तीय गड़बड़ी श्री सीमेंट की सहयोगी इकाई न्यू इण्डिया पावर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में भी की गई और आयकर छूट का दुरुपयोग किया गया।
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