- आयकर अधिकारियों के सवालों के सामने असहज हुए बांगड़
- दस्तावेज के लिए और समय दिए जाने की रखी मांग
- अगले सप्ताह फिर शुरू होंगे कम्पनी अधिकारियों के स्टेटमेंट
- आयकर सर्वे में पकड़ी थी 9000 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी
विमल कोठारी
जयपुर: देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के पिछले माह समाप्त हुए आयकर सर्वे में मिली गड़बड़ियों के बाद इस मामले को लेकर आयकर विभाग में कम्पनी संचालकों के स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने का दौर जारी है। इस कड़ी में गत सोमवार को कम्पनी के चेयरमेन हरीमोहन बांगड़ भी जयपुर स्थित आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा के अधिकारियों के समक्ष अपने बयान रिकॉर्ड करा चुके हैं। बताया जाता है कि आयकर गड़बड़ी को लेकर आयकर अधिकारियों के सवालों के समक्ष अनेक बार बांगड़ भी असहज हो गए, कुछ सवालों के जबाब में बांगड़ ने मौके पर दस्तावेज की उपलब्धता नहीं होने की बात कही और बाद में दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा। बांगड़ के साथ आयकर अन्वेषण शाखा में कम्पनी के प्रबंध निदेशक नीरज अखोरी भी उपस्थित रहे, लेकिन अधिकारियों ने उनसे कोई सवाल-जबाब नहीं किए। आयकर विभाग की ओर से कम्पनी के संचालकों व वरिष्ठ अधिकारियों के सवाल-जबाब का दौर फिलहाल जारी रहेगा। विभाग ने कम्पनी के ऑडिटर सहित कुछ अधिकारियों को अगले सप्ताह अपने स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के लिए फिर सम्मन दिए हैं।
उल्लेखनीय हैं कि आयकर विभाग की ओर से 21 जून को देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के ब्यावर में दो, नवलगढ़ में एक, पानीपत, कोलकाता और गुरुग्राम स्थित कम्पनी के करीब आधा दर्जन व्यवसायिक ठिकानों पर आयकर कानून की धारा 133-ए में आयकर सर्वे की कार्रवाई की शुरू की, जो करीब एक सप्ताह चली। आयकर सर्वे में विभागीय अधिकारियों ने करीब 9000 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं और इस राशि पर आयकर देय होने के बावजूद नहीं चुकाए जाने का दावा किया है। चूंकि आयकर विभाग ने आयकर सर्वे की कार्रवाई की अत: कम्पनी पर देय आयकर भुगतान की देयता की प्रतिशतता भी आयकर सर्च की कार्रवाई की तुलना में कम है। श्री सीमेंट ने पिछले दस साल में आयकर (कॉरपोरेट टैक्स) के रूप में सरकार को कोई राशि जमा नहीं कराई, जो भी आयकर का भुगतान किया वह मैट (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) के रूप में किया, जिसका समायोजन एक निश्चित समयावधि में कुछ नियमों की पालना के उपरांत आयकर की देयता पर किया जा सकता है। बताया जाता है कि कम्पनी के खातों में वर्तमान में करीब 2500 करोड़ रुपए की राशि मेट के खाते में जमा है। चूंकि अधिकारियों ने कम्पनी के यहां 9000 करोड़ की राशि पर आयकर देयता का आंकलन किया है, जो 3500 करोड़ रुपए से भी अधिक होगा।
श्री सीमेंट के खिलाफ मिली वित्तीय अनियमितताओं में आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद देश की अन्य एजेंसियां भी सक्रिय है। श्री सीमेंट को सेबी, मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बाद 19 जुलाई 2023 को मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट एफेयर्स-एमसीए ने भी एक नोटिस थमाया है। यह नोटिस में एमसीए ने कम्पनी कानून 2013 की धारा 206 (5) में कम्पनी के रिकॉर्ड के निरीक्षण की बात कही है। श्री सीमेंट पर आयकर विभाग के शिकंजे के बाद अन्य सरकारी एजेंसियों के दवाब का असर कम्पनी के शेयर मूल्यों पर भी नजर आने लगा है। कम्पनी पर निवेशकों के विश्वास में आई कमी का असर यह है कि आयकर सर्वे की कार्रवाई की शुरुआत के बाद से लेकर अब तक श्री सीमेंट के शेयर भाव करीब 10 फीसदी से अधिक कम हो चुके हैं। शुक्रवार को भी कम्पनी के शेयरों में एनएसई में 320.30 रुपए (करीब 1.37 फीसदी) की गिरावट व बीएसई में 298.00 रुपए (करीब 1.27 फीसदी) की गिरावट दर्ज हुई और यह क्रमश: 23088.75 व 23110.00 रुपए पर बंद हुए हैं। जबकि फ्युचर ट्रेड की बात करें तो यहां नकद की तुलना में श्री सीमेंट के शेयरों की कम पिटाई हुई और आज अंतिम ट्रेडिंग 269.10 रुपए (1.15 फीसदी) की गिरावट के साथ 23220.55 रुपए के भावों पर हुई।
बताया जाता है कि आयकर सर्वे में मिले दस्तावेज व प्रमाणों के आधार पर अधिकारियों का शिकंजा इतना कड़ा है कि कम्पनी प्रबंधन के पास कहने को कुछ नहीं और पिछले कई सालों से आयकर नहीं चुकाने की आदत के चलते अब देय आयकर चुकाने की हिम्मत भी नहीं। अब कम्पनी प्रबंधन आयकर सर्वे के इस मामले ठण्डा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि अधिकारियों का दावा है कि ठोस प्रमाणों के कारण कम्पनी प्रबंधन के पास ब्याज सहित बकाया आयकर चुकाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि कम्पनी की ओर से आयकर छूट के दावों के लिए दस्तावेज में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सोलिड वैस्ट मैनेजमेंट आदि पर खर्च दिखा कर आयकर कानून में मिलने वाली छूट का दावा भी कर लिया, लेकिन यह सब जमीनी हकीकत में नहीं मिले, ऐसे में इन दावों के खारिज होने और इस आधार पर आयकर वसूली की पूरी संभावनाएं है। यह भी गौरतलब है कि कम्पनी की ओर से आयकर अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज में ही यह प्रमाणित हो रहा है कि कम्पनी ने पावर प्लांट को आयकर कानून में मिलने वाली छूट का बेजा लाभ उठाने के लिए पावर प्लांट के खर्च को भी कम दिखाया और इन प्लांट से अधिक लाभ अर्जित कर भरपूर आयकर छूट ली। इसके लिए श्रमिकों व कर्मचारियों के वेतन तक को समायोजित करने से भी गुरेज नहीं की गई। इसी तरह की वित्तीय गड़बड़ी श्री सीमेंट की सहयोगी इकाई न्यू इण्डिया पावर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में भी की गई और आयकर छूट का दुरुपयोग किया गया।
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