सदर डीसीएलआर के 2014 के आदेश का मानपुर सीओ द्वारा अब तक अनुपालन न करने पर 500 रुपए अर्थदंड की हुई अनुशंसा


डीपीआरओ ने परिवाद समाप्त कर मानपुर सीओ को डीसीएलआर का आदेश ट्रू स्पिरिट के साथ इंप्लीमेंट करने का दिया निर्देश

सूरज कुमार / युवा शक्ति न्यूज 

गया : एक मामले में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सदर डीसीएलआर का आदेश होने के बावजूद मानपुर सीओ द्वारा अनुपालन न करने एवं परिवादी को बेवजह भटकाने पर 500 रुपए के अर्थदंड की अनुशंसा के साथ निर्देश दिया कि डीसीएलआर के आदेश को ट्रू स्पिरिट के साथ अनुपालन करना/कराना सुनिश्चित करें.

क्या है मामला?
शहर में स्थित अशोकनगर भट्ट बीघा के रहने वाले दिनेश कुमार द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में आवेदन देते हुए आरोप लगाया गया है कि बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिकार अधिनियम-2009 के तहत भूमि विवाद निराकरण वाद संख्या- 451/13-14 में दिनांक 07.03.14 को पारित आदेश के अनुपालन हेतु डीसीएलआर सदर के आदेश के आलोक में पूर्व सीओ, मानपुर द्वारा दाखिल खारिज का आदेश होने के बावजूद वर्तमान सीओ द्वारा क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है. परिवादी द्वारा आवेदन में उल्लेखित किया गया है कि डीसीएलआर न्यायालय के स्तर से भूमि विवाद निराकरण वाद संख्या- 451/13-14 में पारित आदेश का अनुपालन करने हेतु डीसीएलआर के पत्र के आदेशों के आलोक में पूर्व सीओ, मानपुर द्वारा दाखिल खारिज आदेश दी गई है, जिसका क्रियान्वयन वर्तमान सीओ मानपुर द्वारा आज तक नहीं किया गया है. बल्कि उपरोक्त सभी आदेशों की अवहेलना करते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना के निर्देश को गलत लिखकर रिजेक्ट किया गया है जो विधिसंगत नहीं है, बल्कि सरकार के आदेश की अवहेलना है. विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना के निर्देश के आलोक में दिनेश कुमार द्वारा उपरोक्त सभी साक्ष्यों को दाखिल खारिज आवेदन के साथ ऑनलाइन सीओ, मानपुर के समक्ष वाद संख्या-5433/2019 द्वारा भेजा गया, जिसे सीओ द्वारा गलत आरोप लगाकर अस्वीकृत किया गया है.

दिए गए आवेदन के आलोक में लोक प्राधिकार सह सीओ को नोटिस निर्गत कर प्रतिवेदन की मांग की गई
दिए गए परिवाद के आलोक में जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय से नोटिस निर्गत कर लोक प्राधिकार सह सीओ, मानपुर से जांच कर प्रतिवेदन की मांग की गई जिसमें सीओ के द्वारा अपने कार्यालय से भेजे पत्र में प्रतिवेदित किया गया है कि परिवादी के कथनानुसार दाखिल खारिज वाद संख्या- 191/20-21 को रद्द करते हुए परिवादी के नाम से जमाबंदी कायम करने हेतु परिवाद दायर किया गया है. दाखिल खारिज वाद संख्या- 191/2020-21 की स्वीकृति उपरान्त कायम जमाबंदी को रद्द करने के लिए सदर डीसीएलआर के न्यायालय में दाखिल खारिज वाद संख्या- 191/20-21 के विरूद्ध अपील दायर कर अनुतोष प्राप्त कर सकते हैं. परंतु सीओ के प्रतिवेदन में खाता संख्या-128 का जिक्र नहीं किया गया. अतएव उन्हें निदेशित किया गया कि विस्तृत प्रतिवेदन समर्पित करना सुनिश्चित करेंगे. पुनः सीओ द्वारा दिए पत्र में प्रतिवेदित किया गया है कि खाता संख्या- 03, खेसरा संख्या-128, रकवा-0.07.5 डिसमिल जमाबंदी संख्या-510/3 पर मनोज कुमार पिता राम प्रसाद साव के नाम से जमाबंदी कायम है. उक्त जमाबंदी दा॰ खा॰ वाद संख्या-377/2004-2005 से मनोज कुमार पिता राम प्रसाद साव के नाम से कायम थी, जिससे दा॰खा॰वाद संख्या-191/2020-2021 से स्वीकृत होकर शम्भू प्रसाद, पिता चान्दो प्रसाद वो दीप्ति किरण पति शम्भू प्रसाद के नाम केवाला संख्या-4902, विक्रेता मनोज कुमार पिता स्व. राम प्रसाद साव से निबंधित केवाला के आधार पर वर्तमान में जमाबंदी संख्या ऑनलाइन जमाबंदी भाग संख्या-17 पृष्ठ संख्या-69 पर क्रेता शम्भू प्रसाद के नाम से कायम होकर लगान रसीद अद्यतन है. प्रश्नगत खेसरा की भूमि पर जमाबंदी भाग संख्या-17 पृष्ठ संख्या-69 के जमाबंदीधारी का दखल कब्जा है. जिस पर जीवनदीप हाॅस्पिटल निर्मित है.प्रश्नगत खेसरा के संबंध में स्थानीय जाँच किया गया तो जाँच के क्रम में उपस्थित ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि पूर्व विक्रेता मनोज कुमार का दखल रहा है, जिनके द्वारा क्रेता को भूमि बिक्री किया गया. तब से वर्तमान जमाबंदीधारी का दखल कब्जा है. प्रश्नगत भूमि का जमाबंदी परिवादी के नाम से पंजी-2 में दर्ज नहीं है. उपरोक्त वर्णित तथ्यों के आलोक में परिवादी को सलाह दिया जा सकता है कि दा॰ खा॰ वाद संख्या 191/2020-2021 के विरूद्ध सदर डीसीएलआर के न्यायालय में अपील दायर कर अनुतोष प्राप्त कर सकते हैं.

दस्तावेजों/साक्ष्यों के अवलोकनोपरांत तथ्य सामने आए, जिसमें साफ तौर पर सीओ की लापरवाही देखी गई
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि इस मामले में सभी दस्तावेजों/साक्ष्यों के अवलोकनोपरांत निम्न तथ्य उभरते हैं कि सीओ द्वारा डीसीएलआर के वाद 451/13-14 में पारित आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. जो किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता. परिवादी द्वारा लगाए गए नए नक्शा एवं अन्य साक्ष्य में नया खेसरा 3941 स्पष्ट अंकित है, जिसकी सीओ द्वारा जाँच प्रतिवेदन में उपेक्षा की गई और अस्पष्ट प्रतिवेदन समर्पित किया गया.नया खेसरा 3941 जो पुराना खेसरा 128 का ही पार्ट है, के बारे में डीसीएलआर के आदेश 451/13-14 में भी जिक्र है तथा मनोज कुमार द्वारा शंभू प्रसाद को विक्रय किए गए केवाला 4902 में भी नया खेसरा संख्या 3941 अंकित है. सीओ नए नक्शा के अनुरूप इस भूमि को अमीन से मापी कराकर चिन्हित करा सकते थे. लेकिन उनके द्वारा ऐसा कोई प्रयास न कर मौखिक रूप से यह रट लगाया गया कि नया खेसरा नाॅट फाइनल है. इस संबंध में यह ध्यातव्य है कि जब नया खेसरा सब नाॅट फाइनल है तो डीसीएलआर द्वारा उसका आदेश में वर्णन एवं शंभू प्रसाद द्वारा उसे अपने रजिस्ट्री डीड में अंकित क्यों करवाया गया? जब नया खेसरा 3941 का जिक्र आ ही गया और नए नक्शा में भी 3941 स्पष्ट दृष्टिगोचर है तो किसी भूमि विवाद के निराकरण के लिए नए नक्शे के अनुरूप 3941 को सीओ द्वारा चिन्हित करा देना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.प्रतीत होता है कि सीओ ज्ञात/अज्ञात कारणों से किसी दबाव में हैं, जो परिवादी द्वारा इतने साक्ष्य देने के बाद भी गोल-मटोल प्रतिवेदन देकर अपने कर्त्तव्‍य की इतिश्री समक्ष ले रहे हैं और परिवादी पिलर टू पोस्ट भटक रहे हैं, जो उचित नहीं है. शंभू प्रसाद ने भूमि बेचा 3941 खेसरा और म्यूटेशन हुआ 3939 खेसरा में, यह उचित नहीं है.

नाराजगी जताते हुए 5 सौ रुपए अर्थदंड की अनुशंसा के साथ डीसीएलआर के आदेश का ट्रू स्पिरिट के साथ अनुपालन करने का दिया निर्देश
सभी तथ्यों को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट पीजीआरओ ने सीओ मानपुर को अस्पष्ट प्रतिवेदन देने पर नाराजगी जताते हुए 500/- रू० की शास्ति की अनुशंसा के साथ निर्देश दिया कि सदर डीसीएलआर के आदेश (वाद संख्या 451/13-14/दिनांक-07.03.2014) को ट्रू स्पिरिट के साथ अनुपालन करना/कराना सुनिश्चित करें और नए नक्शा में अंकित खेसरा सं०-3941 एवं 3939 के अनुरूप मापी कराकर खेसरा सं०-3941 एवं 3939 को चिन्हित करा दें ताकि दोनों पक्षों को अपनी-अपनी भूमि की सही स्थिति ज्ञात हो सके.इसके उपरांत परिवादी अन्य अग्रेतर कार्रवाई को स्वतंत्र होंगे.

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