परंतु अब तक बच्चे का नहीं लिया गया एडमिशन, स्कूल प्रबंधन ने डीईओ/डीपीओ पर लगाया आरोप
सूरज कुमार / युवा शक्ति न्यूज
गया : खबर का हो रहा है असर. युवा शक्ति न्यूज़ लगातार अपनी निष्पक्षता और निर्भीकता से खबर प्रकाशित करने के लिए जाना जाता है. इसी परिप्रेक्ष्य में एक खबर को लगातार लिखा जा रहा है, जिससे बच्चे का एडमिशन स्कूल में हो जाए.परंतु डीईओ की लापरवाही के चलते बच्चे का भविष्य खराब हो रहा है. ऐसा ही एक मामला है जिसमें दिल्ली पब्लिक स्कूल, दुबहल में आरटीई के तहत बच्चे के एडमिशन न लेने पर डिस्ट्रिक्ट पीजीआरओ द्वारा लोक प्राधिकार सह डीईओ को आदेश निर्गत करते हुए निर्देश दिया गया कि अगर स्कूल प्रबंधन बच्चे का एडमिशन नहीं लेते हैं तो उनकी अनियमितता के खिलाफ उन पर प्राथमिकी दर्ज करवाएं. साथ ही उनकी प्रस्वीकृति रद्द करने हेतु वरीय पदाधिकारी एवं मान्यता रद्द करने हेतु सीबीएसई बोर्ड को लिखना सुनिश्चित करें. परंतु ऐसा होना लग नहीं रहा, क्योंकि परिवादी द्वारा बुधवार को डीईओ की शिथिलता को देखते हुए और डिस्ट्रिक्ट पीजीआरओ के आदेश के अनुपालन हेतु मगध प्रमंडल आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार के यहां आवेदन देकर एडमिशन दिलवाने की गुहार लगाई गई है.
स्कूल प्रबंधन भी डीपीजीआरओ के आदेश के खिलाफ गए मगध प्रमंडल आयुक्त के यहां
वहीं गुरुवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल,दुबहल प्रबंधन द्वारा भी डिस्ट्रिक्ट पीजीआरओ के आदेश के खिलाफ मगध प्रमंडल आयुक्त के यहां अपील दायर किया गया. स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए आवेदन में लिखा गया है कि डीपीओ के निर्देश पर ही स्कूल द्वारा 3 बाहरी बच्चे का एडमिशन आरटीई के तहत लिया गया है.स्कूल पूरी तरह से बिहार सरकार/भारत सरकार की आदेश का अनुपालन कर रहा है.स्कूल द्वारा लिखा गया कि परिवादी टिंकू कुमार स्कूल में एडमिशन होने के बाद अपना नामांकन कराने स्कूल पहुंचे, तब तक एडमिशन पूरा हो चुका था. अगर समय रहते पहुंच जाते तो उनके बच्चे का एडमिशन हो जाता.परंतु ऐसा नहीं हुआ जिसके वजह से स्कूल को बाहरी बच्चे का एडमिशन डीपीओ के आदेश से लेना पड़ा.
स्कूल प्रबंधन द्वारा डीपीओ पर लगाया जा रहा है आरोप
इस मामले में स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए आवेदन से ऐसा प्रतीत होता है कि डीपीओ के आदेश के आलोक में एडमिशन लिया गया या यूं कहें कि स्कूल प्रबंधन द्वारा डीपीओ पर आरोप लगाया जा रहा है कि डीपीओ के निर्देश पर ही बाहरी 3 बच्चे का एडमिशन लिया गया और टिंकू को लेट पहुंचने के उपरांत एडमिशन नहीं हो सका.
डीईओ और डीपीओ की स्थिति बनी संदिग्ध
इस मामले में डीईओ और डीपीओ की स्थिति संदिग्ध बनी हुई है.चूंकि आदेश के तकरीबन एक सप्ताह हो जाने के उपरांत भी डीईओ और डीपीओ द्वारा स्कूल प्रबंधन पर कोई औचित्यपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई, जिससे परिवादी के बच्चे का एडमिशन ले लिया जाए।सिर्फ एक पत्र जारी कर अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिया गया.इससे साबित होता है की डीईओ और डीपीओ स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने में काफी पीछे दिख रहे हैं या यूं कहें कि स्कूल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं कर मात्र कागजी खानापूर्ति कर समय बर्बाद करना चाहते हैं.
दोनों के विवाद के चक्कर में बच्चे का भविष्य हो रहा है बर्बाद
स्कूल प्रबंधन और डीईओ के आरोप-प्रत्यारोप में बच्चे का भविष्य बर्बाद हो रहा है.ऐसा लग रहा है कि सरकार के द्वारा दिए गए गाइडलाइन का अनुपालन करवाने में डीईओ असमर्थ दिख रहे हैं, जिससे बच्चे का भविष्य बर्बाद हो रहा है, क्योंकि इस मामले में अब तक बच्चे का एडमिशन हो जाना चाहिए था और बच्चे खुशी-खुशी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते.परंतु, डीईओ की शिथिलता/लापरवाही और स्कूल प्रबंधक की मनमानी से बच्चे का एडमिशन नहीं हो पाया.ऐसा लगता है कि स्कूल प्रबंधन और डीईओ कार्यालय की पूरी तरह मिलीभगत है.
परिवादी और स्कूल प्रबंधक की निगाहें टिकी है मगध प्रमंडल आयुक्त पर, 11 मई को है सुनवाई की तिथि
इस मामले में परिवादी और स्कूल प्रबंधक दोनों की निगाहें मगध प्रमंडल आयुक्त पर टिकी हुई हैं। इस मामले की सुनवाई 11 मई को निर्धारित की गई है.अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डिस्ट्रिक्ट पीजीआरओ का आदेश बरकरार रखा जाएगा और उसके आलोक में स्कूल को एडमिशन लेना पड़ेगा अथवा नहीं??
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