बंगाल में अवैध रूप से भर्ती किए गए लोगों को कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर हटाने का सिलसिला जारी है. पहले राज्य के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की पुत्री अंकिता को न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के निर्देश पर शिक्षिका की नौकरी से हटाया गया. उन्हें शिक्षिका के तौर पर मिली पूरी तनख्वाह भी दो किस्तों में वापस करने को कहा गया है. यह भी कहा गया कि वे आगे शिक्षिका के तौर पर अपना परिचय नहीं दे पाएंगी.
इसके बाद हाई कोर्ट ने नवम-दशम 11वीं और 12वीं व गैर शिक्षा कर्मियों को नौकरी से हटाने का निर्देश दिया गया है. हाई कोर्ट के निर्देश पर अब तक 4,798 अयोग्य लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं. वहीं, इस साल 10 फरवरी को न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के निर्देश पर ग्रुप डी के 1,911 लोगों को नौकरी से हटाया गया था. उन्हें तीन सप्ताह के अंदर वेतन लौटाने का भी निर्देश दिया गया था. हालांकि, खंडपीठ ने उनके वेतन लौटाने के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने नौकरी से हटाए गए लोगों की जगह वेटिंग लिस्ट से नियुक्ति करने को कहा था. इसके बाद न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय व न्यायाधीश विश्वजीत बसु के निर्देश पर 618 अयोग्य शिक्षकों की नौकरी चली गई. बाद में और 157 लोगों की नौकरी गई. ये सभी नवम-दशम श्रेणी के शिक्षक थे. इसके बाद अब न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने ग्रुप सी के 842 लोगों को नौकरी से निकालने का निर्देश दिया है. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा है कि वे लोग अब स्कूल में प्रवेश भी नहीं कर पाएंगे. उन्हें वेतन लौटाना होगा या नहीं, इस बारे में अदालत बाद में फैसला करेगी.
इसके अलावा हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित बाग कमेटी की सिफारिशों पर 990 लोगों की नौकरी जा चुकी है. पिछले साल मई-जून में न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने ग्रुप डी के 609 और ग्रुप सी के 381 लोगों को नौकरी से बर्खास्त करने का निर्देश दिया था.
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