डा. कृष्ण बिहारी मिश्र पंचतत्व में विलीन, उनके कृतित्व को देखें


कोलकाता: पद्मश्री से सम्मानित हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार 91 वर्षीय डा. कृष्ण बिहारी मिश्र का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. नीमतल्ला श्मशानघाट पर सात मार्च को उनके ज्येष्ठ पुत्र कमलेश मिश्र ने उन्हें मुखाग्नि दी. डा .मिश्र का निधन सोमवार की रात साढ़े बारह बजे बेलियाघाटा इलाके के 7बी, हरिमोहन राय लेन में वृद्धावस्था जनित बीमारियों के चलते हुआ. वे अपने पीछे पुत्र-पुत्रवधू- कमलेश-गायत्री, आलोक प्रिय-वंदना, डा.चिन्मय कुमार-उषा, शशांक प्रिय-जयश्री मिश्र, पुत्री-दमाद- जया-अभय नारायण पाठक, ऋचा-डा.अविनाश त्रिपाठी, पौत्र-स्वस्ति वर्द्धन, कीर्ति वर्द्धन, विवेक वर्द्धन, विभूति वर्द्धन, ज्योति वर्द्धन, पुत्रवधू-देवद्युति, पौत्री- श्वेता, स्मिता, सुस्मिता, दोहित्र- गौरव शिखर, नचिकेता, दोहित्री- मनीषा, गार्गी रानी, परपौत्री- समृद्धि मिश्र सहित भरा-पूरा परिवार छोड़कर परलोक गए. 

उनकी शवयात्रा में आर के जौहरी, रतन शाह, प्रमोद शाह, मनीष डोकानिया, डा. कृपा शंकर चौबे, विश्वम्भर नेवर,अमरनाथ शर्मा, महावीर प्रसाद बजाज, अविनाश गुप्ता, तारा दूगड़, डा.सत्या उपाध्याय, डा. ज्ञान प्रकाश केजरीवाल, ललन तिवारी, संजीव तिवारी, ब्रज किशोर त्रिवेदी, दारा सिंह, जीवन सिंह, पुरुषोत्तम तिवारी, केशव भट्टर, राम नाथ महतो, लखन कुमार सिंह, वीरेंद्र तिवारी, अजयेन्द्र नाथ त्रिवेदी, शिवकुमार ओझा, अखिलेश पाण्डेय, राजेश मिश्र, चिराग चतुर्वेदी, अनिल कुमार शुक्ल, सुधीर मिश्र, विनोद तिवारी, विनोद पाण्डेय, अमिताभ मिश्र, प्रेमनाथ दुबे, लोकनाथ तिवारी, वंशरोपन मिश्र, भानु चौबे, राज्य वर्द्धन, सुरेश शाॅ, ओम प्रकाश मिश्र, सुरेश भारती, कामेश्वर गुप्ता, नंद लाल सेठ, सत्य प्रकाश पाण्डेय, ब्रह्माशंकर दुबे, रमेश चंद्र मिश्र, डा.हेमेंद्र पाण्डेय, रमाकान्त सिन्हा, हरेराम कात्यायन, रमेश द्विवेदी, कमलापति पाण्डेय 'निडर', अनिमेष पाठक, प्रणवेश मिश्र, आदित्य मिश्र, कमलेश ओझा, अनिल उपाध्याय, सत्य प्रकाश साव, विजय पाण्डेय आदि साहित्य -विद्या जगत सहित विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग मौजूद रहे.

डा. कृष्ण बिहारी मिश्र का संक्षिप्त परिचय

जन्म कार्तिक शुक्ल सप्तमी संवत् 1989 (सन् 1936) में बलिहार, बलिया, उत्तर प्रदेश के किसान परिवार में जन्म। स्व. बबुना देवी और घनश्याम मिश्र के एकमात्र पुत्र। 

शिक्षा : गाँव के नैसर्गिक संस्कार को शिक्षा अनुशासन मिला गाँव की पाठशाला, गोरखपुर के मिशन स्कूल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से। आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र और आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जैसे विदग्ध आचायों की कक्षा तथा आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी एवं आचार्य चन्द्रबली जैसे पांक्तेय पण्डितों के अन्तरंग सान्निध्य से सारस्वत संस्कार और अनुशीलन-दृष्टि अनंत हिन्दी पत्रकारिता विषयक अनुशीलन पर कलकत्ता विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त।

वृत्ति : अध्यापन। कोलकाता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध बंगवासी मार्निंग कालेज से 30 जून 1996 को सेवा-निवृत्त । देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और सरकारी विद्या प्रतिष्ठानों के सारस्वत प्रसंगों में सक्रिय भूमिका अनेक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठियों में भागीदारी अपनी पीढ़ी के पंक्तिय लेखक के रूप में प्रतिष्ठित अग्रणी ललित निबंधकार के रूप में इतिहास द्वारा स्वीकृत सम्मानित।

प्रमुख कृतियाँ : पत्रकारिता हिन्दी पत्रकारिता: जातीय चेतना और खड़ी बोली साहित्य को निर्माण भूमि पत्रकारिता इतिहास और प्रश्न।

हिन्दी पत्रकारिता : जातीय अस्मिता की जागरण-भूमिका गणेश शंकर विद्यार्थी, हिन्दी पत्रकारिता राजस्थानी आयोजन की कृती भूमिका, ललित निबंध-संग्रह, बेहया का जंगल, मकान उठ रहे हैं, आँगन की तलाश, अराजक उल्लास, गौरैया ससुराल गयी।

विचार-प्रधान निबंध-संग्रह : आस्था और मूल्यों का संक्रमण, आलोक पंथा (रम्य विधा में विचाराभिव्यक्ति), सम्बुद्धि (राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में पठित आलेख) साँझ की जम्हाई और सर्जनशील उजास, मूल्य मीमांसा।

संस्मरण-पुस्तक : नेह के नाते अनेक जीवनी, कल्पतरु की उत्सव लीला (परमहंस रामकृष्ण देव के लीला-प्रसंग पर केन्द्रित पुस्तक), न मेधया, समीक्षा परम्परा का पुरुषार्थ, हिन्दी साहित्य की इतिहास कथा।

सम्पादन : हिन्दी साहित्य : बंगीय भूमिका, श्रेष्ठ ललित निबंध (12 भाषाओं के प्रतिनिधि ललित निबंधों का दो खण्डों में संकलन) नवाग्रह (कविता संकलन) समिधा (त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका), कलकत्ता-87। 

अनुवाद : भगवान बुद्ध (यूनू की अंग्रेजी पुस्तक का अनुवाद, कलकत्ता वि.वि. से प्रकाशित)।

सम्मान : साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए पद्मश्री से अलंकृत। ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित।

विद्याकर्म की महत्ता को स्वीकृति देते 'माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय' द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि से प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्मानित। श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा पुरस्कार से सम्मानित। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के साहित्य भूषण सम्मान और महात्मा गाँधी पुरस्कार से सम्मानित।

विद्याश्री न्यास द्वारा स्थापित प्रथम विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान से विभूषित। 

प्रस्तुति: पुरुषोत्तम तिवारी

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