बिहार की राजनीति का बाजार इन दिनों पक्ष-विपक्ष की बयानबाजी से गर्म है. एक तरफ भाजपा ने साफ तौर पर जहां स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे बंद हैं, तो वहीं अब नीतीश कुमार ने भी पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें मर जाना कबूल है, लेकिन अब भाजपा कबूल नहीं है. सोमवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर सीएम ने पटना में कहा कि बापू तो सबको बचा रहे थे, सबको साथ लेकर चलते थे. इसलिए तो उनकी हत्या हुई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू क्या चाहते थे, ये किसी को नहीं भूलना है. ये लोग (भाजपा) जितना भी भूलवाना चाहें, झगड़ा करवाना चाहें, भूलना नहीं है. हमें तो मर जाना कबूल है उनके साथ जाना कबूल नहीं है. भाजपा के साथ जाने का सवाल की पैदा नहीं होता. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक का वोट मिला. अब भाजपा वाले सब भूल गए कि वोट कैसे मिला था. इस बार तो वे हमें ही हराकर और हमारा ही वोट लेकर जीत गए और अब बोल रहे हैं. हम तो अटल-आडवाणी के पक्ष में थे. अब ये लोग जो आ गए हैं, तो सबकुछ बदल रहे हैं, नाम भी बदल रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सदस्य और भाजपा नेता सुशील मोदी ने रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू से अब भविष्य में कोई समझौता नहीं होने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और जदयू से किसी भी परिस्थिति में कोई समझौता नहीं करने का निर्णय भाजपा केंद्रीय नेतृत्व का है. इस निर्णय से पार्टी में अपने बूते सरकार बनाने का आत्मविश्वास मजबूत होगा.
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