Videocon के प्रमोटर्स की संपत्ति होगी जब्त, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की याचिका पर एनसीएलटी ने दिया आदेश


नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही वीडियोकान के प्रमोटर्स की संपत्ति को जब्त और कुर्क करने का निर्देश दिया है। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय की एक याचिका पर एनसीएलटी ने यह निर्देश दिया है। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने सेंट्रल डिपाजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल) और नेशनल सिक्युरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) से कहा है कि वीडियोकॉन के प्रमोटर्स के स्वामित्व वाली या उनके पास किसी भी कंपनी या सोसाइटी में रखी गई प्रतिभूतियों को जब्त किया जाए और उनके हस्तांतरण पर रोक लगाई जाए। ट्रिब्यूनल अब इस मामले की सुनवाई 22 सितंबर को करेगा।

एनसीएलटी ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से भी कहा है कि वह वीडियोकॉन के प्रमोटरों की सभी संपत्तियों की जानकारी दें ताकि उन्हें जब्त किया जा सके। इतना ही नहीं, भारतीय बैंक संघ (आइबीए) से कहा गया है कि वह वीडियोकॉन के प्रमोटर्स के बैंक खातों और लाकरों का विवरण दे, जिससे उन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा सके।

ट्रिब्यूनल ने मंत्रालय से कहा है कि वह सभी प्रदेश सरकारों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर प्रमोटरों के स्वामित्व वाली अचल संपत्तियों की पहचान करे और उनकी जानकारी साझा करने को कहे। एनसीएलटी ने यह आदेश मंत्रालय द्वारा दायर उस याचिका के बाद आया, जिसमें उसने वसूली बढ़ाने के लिए वीडियोकॉन प्रमोटरों की संपत्ति को कुर्क करने की अनुमति मांगी थी।

मामले की गहन जांच करे मंत्रालय : पीठ

ट्रिब्यूनल ने फैसला देते हुए कहा कि फ्लैगशिप कंपनी वीआइएल का वर्ष 2014 में रिजर्व और सरप्लस 10,028.09 करोड़ रुपये था। जबकि वर्ष 2019 में दी गई जानकारी में यह 2,972.73 करोड़ रुपये नकारात्मक हो गया। हैरानी की बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के अनुसार सरप्लस में आई कमी के बावजूद इसी समयावधि में कंपनी को दिया जाने वाला कर्ज 20,149.23 करोड़ से बढ़कर 28,586.87 करोड़ रुपये हो गया। पीठ ने कहा कि जिस तरह से डूबते जहाज को कर्ज देने के लिए वित्तीय संस्थान आगे आए, वह हैरान करने वाला है।

पीठ ने एमसीए से मामले की गहनता से जांच करने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि जब तक इस बात की जांच नहीं की जाती कि कर्जदाताओं ने आखिर कर्ज कैसे दिया, तब तक धोखाधड़ी पूरी तरह सामने नहीं आएगी। ट्रिब्यूनल ने इस आदेश की एक प्रति एसएफआइओ के निदेशक के साथ साझा करने को कहा है। एसएफआइओ इस मामले की पहले से ही जांच कर रहा है।

Post a Comment

Previous Post Next Post