अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी पहली केयरटेकर सरकार का एलान कर दिया है। इस सरकार के प्रमुख के तौर पर हबीबुल्ला अखुंदजादा ही है। वहीं सरकार के प्रमुख के तौर पर हसन अखुंद को बिठाया गया है। अब तक तालिबान की सरकार के प्रमुख के तौर पर जिस अब्दुल गनी बरादर का नाम लिया जा रहा था उसको हसन का डिप्टी नियुक्त किया गया है। हैरानी की बात ये है कि इस सरकार में मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब का कहीं कोई नाम नहीं है।
बहरहाल, अब जबकि हसन अखुंद को सत्ता सौंपी जा चुकी है, तो हमारे लिए ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर बरादर और याकूब को पछाड़ने वाला ये शख्स कौन है। आपको बता दें कि हसन अखुंद का भी ताल्लुक कंधार से ही है। कंधार तालिबान का गढ़ है। इस संगठन के अधिकतर बड़े नेताओं का ताल्लुक यहीं से है। यहां से ही तालिबान की सत्ता चलती भी रही है। इस नाते ये तालिबान की सत्ता का केंद्र है।
तालिबान का सर्वोच्च नेता हबीबुल्ला अखुंदजादा भी कंधार से ही है और बरादर का भी ताल्लुक यहीं से है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के मुताबिक अखुंदजादा कंधार में ही है। हसन अखुंद तालिबान के सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करने वालों में से एक है। इसके अलावा ये अखुंदजादा का भी बेहद करीबी है। आपको बता दें कि अखुंद तालिबान की रहबरी शुरा का वर्तमान प्रमुख भी है जो एक तरह से सरकार की ही तरह काम करती है। इस नाते भी उसका कद तालिबान में काफी बड़ा है। यहां से ही तालिबान के हर फैसले पर अंतिम मुहर लगती है। अगस्त 1996 में हसन ने पाकिस्तान का आधिकारिक दौरा किया था। उस वक्त पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से उसकी बातचीत भी हुई थी।
तालिबान ने इस शख्स को कमान इसलिए भी सौंपी है क्योंकि इसको सत्ता का अनुभव रहा है। दरअसल, 1996-2001 के बीच जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार थी, तब यही इस सरकार का विदेश मंत्री भी था। इसके अलावा हसन के पास उस वक्त उप-प्रधानमंत्री का भी पद था। हालांकि उस वक्त पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत केवल तीन देशों ने ही इस सरकार को मान्यता दी थी।
तालिबान की इस सरकार में अखुंदजादा का पद सबसे ऊंचा है और उसको अमीर उल अफगानिस्तान कहा जाएगा। इस सरकार में खैरउल्लाह खैरख्वा को सूचना मंत्री, अब्दुल हकीम को कानून एवं न्याय मंत्री, शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई को उप विदेश मंत्री बनाया गया है। जबीहुल्ला मुजाहिद की उप सूचना मंत्री होंगे। अखुंदजादा ने केयरटेकर सरकार को शरिया कानून लागू करने को कहा है।
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