अफगानिस्तान में अमेरिकी मौजूदगी का हुआ अंत, 20 साल में खो दिए अपने 2,461 सैनिक

संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने सैन्य अभियान को खत्म कर दिया है। मंगलवार की सुबह आखिरी अमेरिकी सैन्य विमानों ने अफगानिस्तान से उड़ान भरी। पांच अमेरिकी सी-17 कार्गो जेट ने काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरी। अपने 20 साल लंबे सैन्य अभियान के दौरान अमेरिकी ने अपने हजारों सैनिकों को भी खो दिया। हाल ही में काबुल हवाईअड्डे पर आत्मघाती धमाकों में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 169 अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी।

अमेरिकी रक्षा सचिव लायड आस्टिन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान युद्ध में 2,461 सैनिकों को खो दिया और दसियों हजार घायल हुए हैं। हम दुनिया भर में कहीं से भी उत्पन्न होने वाले आतंकवादी खतरों से अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। एक बयान में रक्षा सचिव ने बताया कि अमेरिका ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से 1,23,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है, जिसमें 6,000 अमेरिकी और अधिकांश अफगान, मित्र और सहयोगी है'।

अल कायदा के आतंकवादियों द्वारा अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के बाद पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश ने अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया था। लगभग दो दशक लंबे युद्ध की लागत 2 लाख करोड़ से अधिक रही है। इस दौरान 1,70,000 से अधिक लोग मारे भी गए।

वहीं, अमेरिकी ने काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति को खत्म कर दिया है, अपना संचालन दोहा स्थानांतरित कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान से कूटनीति के प्रबंधन के लिए दोहा का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगान लोगों को मानवीय सहायता का समर्थन करना जारी रखेगा। यह सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों जैसे स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से होगा।

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार,अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान की 'पूर्ण स्वतंत्रता' का जश्न मनाया। काबुल में मंगलवार की तड़के शहर भर में जश्न के तौर पर फायरिंग की गई। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर कहा, 'अंतिम अमेरिकी सैनिक काबुल हवाई अड्डे से चले गए है और हमारे देश ने पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त की है। इसके साथ ही हवाई अड्डे का नियंत्रण तालिबान के हाथों में आ गया है।

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