ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वालेंस ने घोषणा की है कि ब्रिटेन में कोविड-19 से पीड़ित 40 प्रतिशत लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन की दो डोज मिली हैं। पहली नज़र में यह बहुत गंभीर खतरे की घंटी बजाता है लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन अभी भी बहुत अच्छा काम कर रही है। टीके की दोनों डोज लेने के बावजूद लोगों में कोरोना के मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं इसके कई कारण हैं।
दरअसल, COVID के टीके बेहद प्रभावी हैं, लेकिन 100 प्रतिशत नहीं। यह अपने आप में आश्चर्य की बात नहीं है- फ्लू के टीके भी 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होते हैं। फिर भी अकेले अमेरिका में फ्लू की वैक्सीन से बीमारी के लाखों मामलों, दस हजार लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और हर साल हजारों मौतों को रोकने का अनुमान है। COVID की वैक्सीन भी अभी यूके में ऐसा ही कर रही है। जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं अस्पताल में भर्ती होने और मौतें भी बढ़ रही हैं, लेकिन कहीं भी उस स्तर के करीब नहीं हैं जैसे सर्दियों में थी। दिसंबर 2020 की दूसरी छमाही में- एक समय जब यूके के मामले की दर वैसी ही थी जैसी वे अभी हैं। तब लगभग 3,800 लोगों को प्रत्येक दिन कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ब्रिटेन में अभी औसतन लगभग 700 लोग अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे है। हालांकि यह अभी भी हमारी अपेक्षा से अधिक है, यह पिछली बार की तुलना में बहुत कम है जब इतने सारे कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए थे। टीका लगाने वालों के बीच भी COVID बढ़ रहा है क्योंकि यूके में दोनों डोज लेने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि जारी है। अब तक ब्रिटेन के 88 प्रतिशत वयस्कों को पहली डोज और 69 प्रतिशत को दोनों डोज लग चुकी हैं। जैसे-जैसे अधिक से अधिक आबादी को टीका लगाया जाएगा कोरोना के मामलों में उन लोगों के सापेक्ष अनुपात में वृद्धि होगी, जिन्हें दोनों डोज लग चुकी है।
यदि आप एक कल्पना करें जिसमें 100 प्रतिशत आबादी का दोहरा टीकाकरण हो चुका है तो अब 100 प्रतिशत लोगों में से किसी को कोरोना हो सकता है। मौतों की तरह इसका मतलब यह नहीं है कि टीका काम नहीं कर रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि वैक्सीनेशन बहुत अच्छा चल रहा है।
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