जगन्नाथ धाम पुरी में आज बिन भक्तों के ही महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच निकाली जा रही है। आषाढ़ शुक्ल द्वतीया तिथि में आज महाप्रभु रत्न सिंहासन से बाहर निकल कर नौ दिन की यात्रा में भाई बहन के साथ गुंडिचा यात्रा पर जाएंगे। जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय से पहले ही सकाल धूप, खिचड़ी भोग नीति सम्पन्न होने के बाद रथ प्रतिष्ठा किया गया गया। इसके बाद श्रीविग्रहों की धाड़ी पहंडी बिजे शुरू हुई है। सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन की धाड़ी पहंडी बिजे की गई। इसके बाद भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा को पहंडी बिजे में लाकर रथ पर विराजमान किया गया। सबसे अंत में महाप्रभु जगन्नाथ जी की पहंडी बिजे शुरू हुई है।
पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम
महाप्रभु के इस अनुपम रूप को देखने के लिए जहां हर साल जगन्नाथ धाम लाखों की संख्या में भक्तो की भीड़ होती थी, वहीं पिछले साल की तरह इस साल भी बिना भक्तों के महाप्रभु की रथयात्रा निकाली जा रही है। लोग घरों में बैठकर टेलीविजन के माध्यम से जगत के नाथ का दर्शन किया है। कोरोना महामारी के कारण भक्त विहीन रथयात्रा निकाले जाने से पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अनुशासित ढंग से यात्रा सम्पन्न हो इसके लिए शहर को 12 जोन में विभक्त किया गया है। 65 प्लाटुन पुलिस बल तैनात किया गया है। शहर के मुख्य प्रवेश मार्ग, बड़दांड के दोनों तरफ मौजूद घरों के ऊपर विशेष सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए हैं।
रविवार रात 8 बजे से ही शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जो कि मंगलवार रात 8 बजे तक जारी रहेगा। बड़दांड के किनारे रहने वाले घरों के लोगों को भी रथयात्रा में आ रहे महाप्रभु के दर्शन करने पर रोक लगायी गई है। ऐसे में लोग अपने अपने घरों में रहकर महाप्रभु के इस अनुपम पेश का दर्शन कर रहे हैं।
भोर से ही शुरू हो चुकी हैं नीतियां
ओडिशा के पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा अपराह्न 3 बजे से निकाली जाएगी लेकिन रथयात्रा के लिए नीतियां भोर से ही शुरू हो चुकी हैं। भोर 4:30 मंदिर का दरवाजा खोला गया और फिर मंगल आरती की गई। मंगल आरती सम्पन्न होने के पश्चात अवकाश नीति, इसके बाद द्वारपाल पूजा, सूर्य पूजा तत्पश्चात सकाल धुप में प्रभु को खिचड़ी भोग लगाया गया। मंत्रोच्चारण कर रथ प्रतिष्ठा नीति सम्पन्न होने के बाद 24 पुरोहित वहीं जगन्नाथ मंदिर में स्थित चाहाणी मंडप पर तीनों रथों के 24 पुरोहित रथ प्रतिष्ठा के लिए हवन करेंगे।
-देेेवी सुभद्रा
ताजा पुष्पों पर विराजमान हुए भगवान
हवन के बाद रथों के आचार्य संपाति जल को लेकर तीनों रथों के ऊपर जाकर रथ प्रतिष्ठा नीति सम्पन्न करने के बाद श्री विग्रहों को रथों पर स्थापित किया गया । उनके आयुध बड़े भाई बलभद्र के रथ पर नृसिंह और उनके आयुध हल और मूसल स्थापित किए गए । भगवान के बैठने वाले स्थान पर ताजा पुष्पों को रखा गया। इसके पश्चात भगवान जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ पर हनुमान जी एवं भगवान के आयुध शंख व चक्र स्थापित किए गए। भगवती मां सुभद्रा के रथ पर भुवनेश्वरी के आयुध को स्थापित किया गया। 24 ब्राह्मणों द्वारा अभिमंत्रित जल को वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ तीनों रथों पर छिड़काव किया गया। यह कार्य संपन्न होने के बाद रथ के महारणा सेवकों को फूल और ध्वजा दी गई, जिसे महारणा सेवकों ने नीलचक्र में लगाया।
-प्रभु बलभद्र
समयानुसार निभायी जा रही हैं जगन्नाथ रथयात्रा की नीतियां
सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर मंगला आरती की गई। रथ प्रतिष्ठा का समय 8 बजे और इसके पश्चात 8 बजकर 30 मिनट पर पहंडी बिजे। 11 बजकर 30 मिनट पर पहंडी बिजे समाप्त होगी। इसके पश्चात शंकराचार्य रथ पर विराजमान चतुर्धा विग्रहों के पावन दर्शन करेंगे। 12 बजकर 45 मिनट से 2 बजे के बीच गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव रथ पर छेरापहंरा की रीति नीति करेंगे। अपराह्न 3 बजे से पुरी में रथ खींचने की प्रक्रिया की शुरुआत होगी। बता दें कि प्रत्येक रथ को खींचने के लिए 500 सेवक मौजूद रहेंगे, तीनों रथों को कुल 1500 सेवकों के द्वारा खींचा जाएगा।
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