बंगाल सरकार की याचिका खारिज किए जाने पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि मैं न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। प्रताड़ित, घरों से निकाले, मौत के घाट उतारे लोगों के लिए विश्वास जगा है कि उन्हें न्याय मिलेगा। एक मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) राज्य में सजाए मौत होते देख रही हैं क्योंकि उन्होंने सीएम के पक्ष में वोट नहीं किया। पहले तो उनके (ममता बनर्जी) हाथ खून से जाने हुए थे, अब दामन पर भी महिला के अत्याचार के दाग हैं।
ज्ञात हो कि कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सोमवार को बंगाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें हाई कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने के लिए कहा गया है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि क्या आम आदमी राज्य में सुरक्षित है, जब केंद्रीय मंत्रियों की कार पर लोगों ने पथराव किया था। मैं उन लोगों से सवाल करना चाहता हूं जो खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं, उन्होंने प्रेस क्लब के सामने दुष्कर्म की शिकार महिलाओं के लिए कोई जुलूस क्यों नहीं निकाला।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को उनके घरों से निकाल दिया जाता है और खुलेआम दुष्कर्म किया जाता है, चाहे वह दलित हो या आदिवासी महिला। एक 60 वर्षीय महिला यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची कि उसके 6 साल के पोते के सामने सिर्फ इसलिए दुष्कर्म किया गया क्योंकि वह एक भाजपा कार्यकर्ता थी। चुप रहकर वह और कितने दुष्कर्म देखेगी?
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि राज्यपाल हों या नहीं, अगर कोई महिला दुष्कर्म के बाद आपसे मदद मांग रही है तो क्या आपकी आंखें नम नहीं होंगी? क्या तुम्हें दुख नहीं होगा? अगर लोग दया की भीख मांग रहे हैं और ममता बनर्जी से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं तो क्या सरकार को केवल दर्शक बनकर रहना चाहिए?
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि बंगाल सरकार असत्य बोल रही है, बंगाल में हिंसा हो रही है। उसके बाद भी सीएम कह रही हैं कि हिंसा नहीं हुई। हाई कोर्ट ने मानव अधिकार आयोग को कहा है कि एक टीम बनाएं और जहां हिंसा हुई है उसकी रिपोर्ट सीधे हाई कोर्ट को दें।
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