दलबदलुओं की घर वापसी में को लेकर तृणमूल नेतृत्व धीरे चलो की नीति अपना रही

बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दल बदल कर भाजपा का झंडा थामने वाले नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है। अपनी मौजूदा पार्टी और नेताओं को नसीहत देकर तृणमूल नेतृत्व को संदेश देने में जुटे हैं कि वह भी लौटना चाहते हैं। सोनाली गुहा से लेकर राजीब बनर्जी का नाम खासकर मीडिया में बार-बार उछल रहा है। ऐसा लग रहा है कि सभी दलबदलु तृणमूल में वापस जाना चाहते हैं।

इतना ही नहीं तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कार्यभार संभालने के दो दिन बाद ही दावा किया कि जो हार गए हैं वही नहीं, बल्कि जो जीतकर भाजपा में विधायक बने हैं, वे भी वापसी करना चाहते हैं। कार्यसमिति ने इन लोगों की वापसी का फैसला पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर छोड़ दिया है। हालांकि दलबदलुओं की घरवापसी में को लेकर तृणमूल नेतृत्व धीरे चलो नीति अपना रही है।

सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने संकेत दिए हैं कि अगर भाजपा विधायक तृणमूल में शामिल होते हैं तो अभिषेक पूर्व तृणमूल नेताओं को नहीं छोड़ेंगे। इसीलिए अभी यह साफ नहीं है कि इन दलबदलुओं की तृणमूल में दोबारा एंट्री कब होगी? परंतु एक बाद एक दलबदलू नेता भाजपा राज्य से लेकर केंद्रीय नेतृत्व को नसीहत देने में जुटा है। राजीब बनर्जी ने मंगलवार को इंटरनेट मीडिया पर भाजपा नेताओं को चेतावनी दी थी कि लोग भारी जनादेश से चुनी गई सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति शासन की धमकी को पसंद नहीं करेंगे।

वह चुनाव बाद हिंसा को लेकर भाजपा की बंगाल इकाई द्वारा बुलाई गई बैठक में भी नहीं गए थे। परंतु इस बयान के एक दिन बाद ही हावड़ा के डोमजुर में बुधवार को उन्हें गद्दार बताते हुए जगह-जगह पोस्टर लगा दिए गए। उनमें कहा गया है कि चुनाव से पहले भाजपा में गए बनर्जी को तृणमूल में वापस नहीं लिया जाए। इसी से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि तृणमूल को काफी सोच विचार कर निर्णय लेना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो तृणमूल में भी इन नेताओं के फिर से शामिल होने के बाद एक बार फिर असंतोष व्याप्त हो सकता है। यही वजह है कि तृणमूल नेतृत्व सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही इन दलदबलुओं की वापसी पर अंतिम निर्णय लेना चाहता है।

तृणमूल कांग्रेस की कार्यसमिति ने पार्टी छोड़ने वाले लोगों की वापसी का फैसला पार्टी प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर छोड़ दिया है। हालांकि दलबदलुओं की घरवापसी में को लेकर तृणमूल नेतृत्व धीरे चलो नीति अपना रही है।


Post a Comment

Previous Post Next Post