बिहार में मुखिया-सरपंच को नहीं दिया जाएगा कार्यकाल विस्तार, सरकार परामर्श समिति का करेगी गठन


पटना (युवा शक्ति न्यूज):  बिहार में पंचायत चुनाव न होने की स्थिति में मुखिया और सरपंचों के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर जारी अटकलों पर अब विराम लग गया है. नीतीश कैबिनेट ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के खत्म हो रहे कार्यकाल को बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है. इस महीने 15 जून को खत्म हो रहे वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल के बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है. मंत्रिपरिषद की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी है कि सरकार परामर्श समिति का गठन करेगी. इस फैसले के कारण पंचायत प्रतिनिधियों को बड़ा झटका लगा है. 

मंगलवार को नीतीश कैबिनेट की बैठक संपन्न होने के बाद बिहार सरकार में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार में पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में बिहार में पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद में परामर्शी समिति का गठन किया जाएगा. सभी मंत्री विभागीय सचिव के चैंबर से वीसी के माध्यम से कैबिनेट की बैठक से जुडे़. इस दौरान बिहार कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण लिये गये. बताया जा रहा है कि 15 जून के बाद परामर्शी समिति का गठन किया जायेगा, जो गांव की सत्ता संभालेगी. पंचायती राज विभाग के एजेंडा में कहा गया है कि यदि किसी कारण से ग्राम पंचायत का आम निर्वाचन कराना संभव नहीं हो तो उक्त अवधि के अवसान पर ग्राम पंचायत भंग हो जाएगी. ग्राम पंचायत में निहित सभी शक्ति और कृतियों का प्रयोग या संपादन ऐसी परामर्श समिति द्वारा की जाएगी, जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा गठित करे.

पंचायती राज मंत्री ने कहा कि संविधान में यह नियम है कि पांच साल से अधिक पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढाया जा सकता है. बिहार कैबिनेट के इस प्रस्ताव को अब राज्यपाल के पास भेजा जायेगा. समिति में कौन-कौन लोग होंगे इस पर बाद में निर्णय होगा. इसतरह से नीतीश सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया है. अधिनियम के धारा 14, 39, 66 और 92 में संशोधन किया गया है. नया अध्यादेश लाकर वर्तमान जनप्रतिनिधियों को शक्ति देने की योजना है. चर्चा है कि परामर्श समिति में अधिकारियों और वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा. यहां बता दें कि सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से पंचायत का कार्यकाल बढ़ाने की मांग जोर-शोर से की जा रही थी. सरकार के सहयोगी मांझी-सहनी ने भी खुलकर मांग किया था कि पंचायत का कार्यकाल बढाया जाये. पंचायती राज के करीब ढाई लाख जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है. गौरतलब है कई कारणों से बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो सका है.

कोरोना संक्रमण के कारण जहां सारी गतिविधियां लगभग ठप रहीं, वहीं अब बरसात के मौसम की वजह से भी अगले 3 महीने तक पंचायत चुनाव होना संभव नहीं है. इन सबके बीच आज की बिहार कैबिनेट में कुल 18 एजेंडों पर मुहर लगी है. जिनमें सबसे महत्वपूर्ण पंचायतों को लेकर था. छठे राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर वित्तीय वर्ष 202-1 22 में कुल 6 अरब 56 करोड़ रुपये ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने को लेकर अग्रिम निकासी की स्वीकृति दी गई है. राज्य के विभिन्न जेलों में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ करने को लेकर एएनएम के पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है.

बिहार कैबिनेट ने अक्षय पात्र फाउंडेशन बेंगलुरु एवं इस्कॉन चैरिटेबल ट्रस्ट पटना को केंद्रीकृत रसोईघर के माध्यम से पटना जिला के दानापुर, फुलवारी एवं पटना सदर प्रखंड के चिन्हित विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन आपूर्ति करने हेतु नामांकन के आधार पर चयन करने के प्रस्ताव की स्वीकृति दी गई है. बिहार वेब मीडिया नियमावली 2021 का बिहार कैबिनेट ने अनुमोदन कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में कटिहार वाटर ड्रेनेज योजना फेज वन हेतु सेंटेंज सहित कुल 220 करोड 50 लाख 92 हजार की योजना को स्वीकृति प्रदान करते हुए कार्यकारी एजेंसी के रूप में बुडको को नामित किया गया है.

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