देश में कोरोना वायरस के संक्रमण बढ़ने के साथ ही ब्लैक फंगस की खबरें सामने आ रही थीं। ब्लैक फंगस जिसे कि म्यूकोमाइकोरटिसिस भी कहा जा रहा है। इस संक्रमण से कई जगहों पर हाहाकार जैसी स्थिति है। हालांकि इस बीच अब ‘ह्वाइट फंगस’ की भी खबरें सामने आ रही हैं। ह्वाइट फंगस संक्रमण से जुड़े मामले अब बिहार में सामने आए हैं। इसे लेकर बंगाल में अभी से विशेषज्ञ सतर्कता बरत रहे हैं।
ह्वाइट फंगस फेफड़े के निचले हिस्से, त्वचा, नाखून, मुंह, किडनी व जननांगों को संक्रमित करता है। इसके लक्षण कोरोना जैसे ही होते हैं, लेकिन यदि इसके रोगियों को स्टेरॉयड दे दिया जाए तो मौत तक होने की संभावना बनी रहती है।
रिपोर्ट की मानें तो स्वास्थ्य विशेषज्ञ ह्वाइट फंगस को ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक बता रहे हैं। इसकी खास वजह है कि यह शरीर के अन्य भागों जैसे त्वचा, पेट, गुर्दा, मस्तिष्क, निजी अंगों और फेफड़ों के अलावा मुंह को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, राहत की बात यह है कि अभी तक दूसरे राज्यों में ह्वाइट फंगस के फैलने के ज्यादा सबूत नहीं मिले हैं। राज्य में भी केवल ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। ऐसे में ह्वाइट फंगस को लेकर पहले ही विशेषज्ञ अलर्ट हो गए हैं।
मेडिका हॉस्पिटल समूह के चेयरमैन डॉ.आलोक राय ने कहा कि फंगस हमारे बीच पहले से ही मौजूद है। ऐसे में कोविड काल में देखा जा रहा है कि कई फंगस काफी अधिक प्रभावी हो रहे हैं, साथ ही यह लोगों के शरीर को प्रभावित कर रहे हैं। डॉ. लोकेश पांडेय ने कहा कि दरअसल किस प्रकार से फंगस रिएक्ट कर रहा है, इस पर अभी प्रश्नचिह्न है। इसकी वजह है कि फंगस पहले से ही हैं। हालांकि कोरोना काल में देखा जा रहा है कि इस पर चर्चा अधिक है। अब इस पर अनुसंधान जारी है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण से कुछ ताल्लुकात रख रहा है या नहीं। हालांकि सतर्कता से बचाव संभव है।
मधुमेह के मरीजों को विशेष सतर्क कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इस फंगस के संक्रमण का पता लगाने के लिए एचआरसीटी स्कैन की आवश्यकता हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस की तरह ब्लैक फंगस भी कम एंटीबॉडी वाले लोग, पहले से मौजूद चिकित्सा समस्याएं, डायबिटीज वाले लोग या फिर स्टेरॉयड का उपयोग करने वाले लोगों में संक्रमण का अधिक खतरा होता है। ऐसे में मधुमेह को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
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