झारखंड सरकार की ओर से नियोजन नीति को वापस लिए जाने के बाद ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसको लेकर कई अभ्यर्थी अधिवक्ताओं से कानूनी सलाह ले रहे हैं। दरअसल झारखंड सरकार ने नियोजन नीति को वापस तो ले लिया है लेकिन अभी तक इससे संबंधित अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
जिससे यह पता चल सके की नियोजन नीति वापस लेने का प्रभाव गैर अनुसूचित जिलों पर पड़ेगा या नहीं। लेकिन कई कानूनी जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार ने उसी अधिसूचना को वापस ली है। जिसको झारखंड हाई कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था। दरअसल 14 जुलाई 2016 के अधिसूचना को सोनी कुमारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि किसी भी हाल में कोई भी पद शत प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता है। इसलिए राज्य सरकार के 13 अधिसूचित जिलों के लिए बनाई गई नियोजन नीति के तहत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों को स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करना असंवैधानिक है। उस दौरान भी हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उनके आदेश से 11 गैर अधिसूचित जिलों में होने वाली नियुक्तियां प्रभावित नहीं होंगी।
बहरहाल हर कोई राज्य सरकार की अधिसूचना का इंतजार कर रहा है ताकि स्थिति अस्पष्ट हो सके। हालांकि इस दौरान कई अभ्यर्थियों ने अधिवक्ताओं से संपर्क कर राज्य सरकार की नियोजन नीति वापस लेने संबंधी अधिसूचना को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। इसको लेकर तैयारी भी चल रही है।
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