Earthquake in Patna, Bihar: बिहार में कभी भी आ सकता है 1934 जैसा बड़ा भूकंप, ऐसा हुआ तो तबाही तय

बिहार में सोमवार की रात भूकंप (Earthquake) से अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, जान-मान की कोई क्षति नहीं हुई। इसके साथ ही याद आ गया साल 1934 का रिक्‍टर स्‍केल पर 8.5 की तीव्रता वाला वो भूकंप, जिसमें बिहार में 7153 और नेपाल में 8519 लोगों की मौत हुई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार बिहार में 1934 के भूकंप की तीव्रता वाला कोई बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है और अगर ऐसा हुआ तो भारी तबाही तय है। ऐसी स्थिति में अब दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है। आइआइटी रुड़की के अर्थक्वेक इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. आनंद एस आर्या ने अपनी शोध में इसका जिक्र किया है।

1934 में आया था 8.5 की तीव्रता वाला बड़ा भूकंप

साल 1934 के 15 जनवरी को बिहार व नेपाल में रिक्‍टर स्‍केल पर 8.5 की तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आया था। इस भूकंप में बिहार का मुंगेर शहर पूरी तरह तबाह हो गया था। भूकंप ने नेपाल के भटगांव शहर को भी तहस-नहस कर दिया था। पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा और पूर्णिया में भी भारी तबाही हुई थी। बिहार में भूकंप से हुई 7153 मौतों में सर्वाधिक मुजफ्फरपुर में 2539 लोगों की जान गई थी। इसके बाद फिर 1988 में 6.6 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी शक्ति 1934 के भूकंप से 750 गुणा कम थी।

बड़े जलजला से अब आ सकता है महाविनाश

आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. आनंद एस आर्या के शोध के अनुसार भूकंप या जलजला से नुकसान जनसंख्‍या एवं निर्माण पर निर्भर करता है। डॉ. आर्या का शोध साल 1931 और 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर बताता है कि तीव्र जनसंख्या वृद्धि और तेज निर्माण के कारण अगर 1934 की तीव्रता वाला कोई भूकंप अब आता है, तो वह महाविनाशकारी हो सकता है।

दिल्‍ली से बिहार के बीच बुरी तरह कांपेगी धरती

कुछ साल पहले आइआइटी कानपुर के सिविल इंजिनियरिंग विभाग के प्रो. जावेद एन मलिक के अध्ययन में भी बताया गया था कि दिल्ली से बिहार के बीच 7.5 से 8.5 के बीच की तीव्रता वाला कोई बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। इस इलाके में कभी भी धरती बुरी तरह कांपेगी। प्रो. मलिक के शोध का आधार यह है कि पिछले 500 साल के दौरान गंगा के मैदानी क्षेत्र में कोई बहुत बड़ा भूकंप नहीं आया है।

डरें नहीं, बरतें एहतियात; रहें पहले से ही सतर्क

यहां एक बात स्‍पष्‍ट कर दें कि हमारा मकसद डराना नहीं, बल्कि संभावित खतरे को लेकर सतर्क करना है। हम चाहते हैं कि आप पहले से ही एहतियाती कदम उठाएं, ताकि भूकंप की स्थिति में आप सब व आपके अपने सलामत रहें। यह बात अच्‍छी तरह समझ लीजिए कि बिहार के आठ जिले भूकंप प्रभावित जोन-5 और 24 जिले जोन-4 में आते हैं। ये जिले भूकंप प्रभावित खतरनाक जोन में हैं। यहां भूकंप का आना तय है, लेकिन कब, इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। हिमालय क्षेत्र में 1934 के भूकंप के बाद से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। वैज्ञानिकों की मानें तो भूकंप प्रभावित क्षेत्र में इतने लंबे समय तक भूकंप का नहीं आना बड़े भूकंप की चेतावनी है। ऐसे में जरूरत है लोगों के जागरूक होने की।

भूकंप की स्थिति में क्‍या करें, क्‍या नहीं ...जानिए

भूकंप के दौरान यदि आप घर से बाहर हैं बाहर ही रहें। झटके खत्‍म होने तक ऊंची इमारतों व बिजली के खंभों आदि से दूर रहें। यदि आप चलती गाड़ी में हों तो गाड़ी रोक कर उसमें हीं बैठे रहें। कमजोर पुल या सड़क पर नहीं रहें।

बहुमंजिली इमारत में हैं तो लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करें। लिफ्ट दीवारों से टकरा सकती है तथा बिजली जाने के कारण रुक भी सकती है। सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, लेकिन अगर वे कमजोर हों तो ऐसा कतई न करें। झटके आने तक घर के अंदर ही रहें।

भूकंप के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठें। किसी मजबूत टेबल या दूसरे फर्नीचर के नीचे छिप जाएं। घर के किसी कोने में रहें। कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूरी रखें।

अगर भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो माचिस नहीं जलाएं। भूकंप के दौरान गैस लीक होने का खतरा होता है। किसी कपड़े से चेहरा ढक लें और पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल को आपका लोकेशन लेने में आसानी हो। यदि कोई और जरिया न हो, तो चिल्लाएं।

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