तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों का दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन जारी है। इस बीच कानून रद करने की मांग के साथ-साथ एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर सिंधु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को 71वें दिन में प्रवेश कर गया है।
धरने में हर घर से एक सदस्य
मथुरा में हुई खाप पंचायत में हर घर से एक व्यक्ति के गाजीपुर बार्डर के धरने में शामिल होने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। पूर्व सैनिक संगठन और रालोद ने भी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला चलने का एलान किया।
इससे पहले बुधवार को हरियाणा के जींद जिले में खापों को पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने तीनों कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया। इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि जब राजा जब डरता है, तो किलेबंदी करता है। उनका इशारा दिल्ली बॉर्डर पर कील लगाने और सीमेंट के बैरिकेड खड़ा करने से था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से डर कर दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डरों पर किलेबंदी कर रही है। इतना ही नहीं तारबंदी भी की जा रही है और सड़कों पर ही कीलें गाड़ी गईं हैं। राकेश टिकैत ने हजारों किसानों की मौजूदगी में यह एलान किया है कि किसानों की मांग तीनों कृषि कानून वापसी की है। अगर बात गद्दी वापसी पर आ गई, तो सरकार क्या करेगी। उन्होंने एक बार फिर दोहराया है कि कानून वापसी होने तक किसानों का आंदोलन वापस नहीं होगा।
इस बीच भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि वह रुड़की के मंगलौर में किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और कृषि कानून निरस्त होने तक यह जारी रहेगा। छह फरवरी को भारत बंद में किसान पूरे अनुशासन के साथ शामिल होंगे। टिकैत भारतीय किसान यूनियन, उत्तराखंड किसान मोर्चा और किसान कामगार मोर्चा की ओर से बुलाई गई महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। इसमें मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली और बागपत से बड़ी संख्या में किसान पहुंचे।
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