चीन ने पहली बार माना कि गलवन घाटी में भारतीय जवानों के हाथों उसके जवान हुए थे ढेर

चीन ने पहली बार माना है कि बीते वर्ष जून में लद्दाख की गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैनिक मारे गए थे। चीन के अखबार पिपुल्‍स डेली अखबार के एक ट्वीट के हवाले से एएनआई ने इसकी जानकारी दी है। अखबार में कहा गया है कि चीन ने इस पहली बार न सिर्फ ये बात मानी है बल्कि इन जवानों को मरणोपरांत पदक देने का भी एलान किया है। इस झड़प में चीन की आमी का एक कर्नल भी घायल हो गया था।

आपको यहां पर बता दें कि गलवन वैली में ये झड़प उस वक्‍त हुई थी जब भारतीय सैनिक अपनी सीमा से चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए कहने गए थे। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने कंटीले तार लगी हुई लोहे की रॉड से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया था। इस खूनी झड़प में भारतीय सैनिकों ने चीन को करारा जवाब दिया था। हालांकि इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए थे।

गलवन की इस घटना के बाद से ही लद्दाख की सीमा पर जबरदस्‍त तनाव दिखाई दिया था, जिसका पटाक्षेप दो दिन पहले सेनाओं के वापस जाने से हुआ है। इस झड़प के बाद एक अमेरिकी रिपोर्ट में बताया गया था कि इस खूनी झड़प में चीन के करीब 30-40 जवान मारे गए हैं। हालांकि चीन ने कभी इनका कोई जिक्र नहीं किया था। चीन के कुछ अखबारों में ये जरूर कहा गया था कि इसमें कुछ जवान मारे गए हैं, लेकिन इनकी गिनती कभी नहीं बताई गई थी। अब ऐसा पहली बार हुआ है कि इनके बारे में चीन ने सच्‍चाई कबूल की है।

चाइनीज मिलिट्री कमीशन ने जिन जवानों को मानद उपाधि देने का एलान किया है उसमें शिनजियांग में पीएलए के रेजीमेंटल कमांडर की फबाबो शामिल हैं, जिन्‍हें हीरो रेजीमेंटल कमांडर फॉर डिफेंडिंग द बॉर्डर का खिताब देने की घोषणा की है। साथ ही चेन होंगजुन को हीरो टू डिफेंड द बॉर्डर, चेन शियनग्रांग, शियाओ सियुआन और वांग झुरान को फर्स्‍ट क्‍लास मेरिट से सम्‍मानित करने की घोषणा की गई है। आपको बता दें कि लद्दाख के इस पूरे इलाके में दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस तरह की हिंसक झड़प लगभग 5 दशक में पहली बार देखने को मिली थी। इस क्षेत्र में वर्षों से किसी भी जवान की तरफ से गोली तक नहीं चली है।

गलवन की घटना के बाद दोनों ही तरफ से न सिर्फ सीमा पर सेना का जमावड़ा बढ़ाया गया बल्कि किसी भी विपरीत परिस्थितियों का जवाब देने के लिए भारत ने वहां पर तोपखाने की भी तैनाती कर दी थी। इसके अलावा भारतीय वायुसेना को हर वक्‍त अलर्ट पर रखा गया था। साथ ही सीमा पर चौकसी को बढ़ा दिया गया था। कुछ समय पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहा था कि भारत अपने सैनिकों को एकतरफा सीमा से वापस नहीं बुलाएगा। 11 फरवरी को उन्‍होंने सदन को बताया चीन और भारत पैंगोंग झील के उत्‍तरी और दक्षिणी क्षेत्र से जवानों को हटाने पर राजी हो गए हैं। इसके बाद भारतीय सीमा के समीप तैनात टैंक भी वापस बेस कैंप लौट आए थे।

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