ऊंटों की तस्करी हरियाणा टू बांग्लादेश वाया पाकुड़, काले खेल का पांच राज्यों से कनेक्शन

हरियाणा व राजस्थान से रेगिस्तान के जहाज (ऊंट) की तस्करी हो रही है। दिल्ली, यूपी, बिहार और झारखंड के पाकुड़ से होकर इनको पश्चिम बंगाल के मालदा पहुंचाया जाता है। वहां से इनको मोदी घाट व पूर्णभामा घाट से नाव के माध्यम से गंगा नदी के पार बांग्लादेश भेज दिया जाता है। एक महीने में पाकुड़ में दो बार ऊंट लदे वाहन वन विभाग अधिकारियों ने पकड़े। तब यह खुलासा हुआ है। एक ट्रक में 14 व दूसरे में 15 ऊंट थे। ट्रक चालक व तस्करों से जब पूछताछ हुई तो पता चला कि राजस्थान व हरियाणा में 25-25 हजार रुपये में खरीदे गए ऊंट की कीमत बंगाल में चार गुना और बांग्लादेश तक पहुंचते- पहुंचते आठ गुना हो जाती है।

इधर, फिरोजाबाद निवासी ट्रक चालक बॉबी कुमार ने वन विभाग के रेंजर अनिल कुमार के समक्ष स्वीकारा कि वह ऊंट मालदा ले जा रहा था। मालदा, कलियाचक, दक्षिण दिनाजपुर में कई दलाल हैं जो इनको बांग्लादेश भेजने की व्यवस्था करते हैं। चालक के पास से जेके ओवरसीज शिपिंग एजेंसी से संबंधित कागज मिले हैं। उसका कहना है कि इस एजेंसी के माध्यम से ऊंटों को मोटर से चलने वाली बड़ी नाव से बांग्लादेश भेजा जाता है।

गोरखधंधा: नीलाम होकर फिर तस्करों के हाथ लग जाते हैं पशु

बीएसएफ जब्त पशुओं को कस्टम या फिर स्थानीय पुलिस को सौंप देता है, जो इसकी नीलामी करते हैं। जानकारों का कहना है कि बड़ी संख्या में पकड़े गए जानवर नीलामी के बाद फिर से तस्करों के पास ही पहुंच जाते हैं क्योंकि आम लोग शायद ही इतनी बड़ी संख्या के लिए हो रही नीलामी में शिरकत करते हैं।

आखिर कैसे होती है तस्करी?

बिना बाड़ वाले क्षेत्रों से सीमा पार

पुलों के नीचे बिना बाड़ वाले क्षेत्रों से जानवरों को भेजना

पशुओं को भेजने के लिए बच्चों और महिलाओं का उपयोग

लीवर के इस्तेमाल से जानवरों को भेजना, जिसे झूला तकनीक भी कहते हैं

बाड़ काटने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए वायर कटर का इस्तेमाल

बांग्लादेश की भूमिका

पशुओं पर आधारित चमड़ा उद्योग के लिए उपयोगी

पशु व्यापार बांग्लादेश सरकार के लिए राजस्व का स्नोत

बांग्लादेश में पशु तस्करी को एक तरह से अपराध नहीं मानता

बांग्लादेश से पशुओं के मांस का निर्यात होता है और ये भी देश की आय का जरिया है

एक पशु तस्कर बांग्लादेश में प्रवेश के बाद, प्रति पशु 500 टाका कस्टम ड्यूटी देता है और तस्कर से व्यापारी बन जाता है

हर नाके पर दिए पांच से दस हजार रुपये

पकड़े गए ऊंट तस्कर बागपत के दोभट थाना क्षेत्र के बड़हल गांव निवासी आदिल ने बताया कि हरियाणा के महेंद्रगढ़ में मेले से 25 हजार की दर से 15 ऊंट खरीदे थे। हरियाणा, राजस्थान से लेकर बंगाल व बांग्लादेश तक उनका नेटवर्क सक्रिय है। हरियाणा से दिल्?ली, यूपी, बिहार होकर झारखंड पहुंचे थे। 15 से अधिक चेकनाका में चढ़ावा चढ़ाया। कहीं पांच तो कहीं दस हजार रुपया देना पड़ा। पाकुड़ में वन चेकनाका पर हमारा ट्रक पकड़ लिया गया। ट्रक पकड़ने वाले रेंजर अनिल कुमार सिंह को रिश्वत की भी पेशकश की, पर छूट नहीं पाए।

बेरहमी की पराकाष्ठा, पैर बांधकर ट्रक में लादकर ले जा रहे थे ऊंटों को: ऊंटों को किसी भी प्रकार जल्दी से जल्दी पहुंचाने के चक्कर में उनके साथ क्रूरता की हद पार कर दी। 12 जनवरी को भी 14 ऊंटों को पकड़ा गया था, उन्हें रास्ते में दाना-पानी नहीं दिया गया था। पैर बांधकर ट्रकों में ठूंस दिया गया था। नतीजा चार ऊंट की पाकुड़ में मौत हो गई थी। मरे हुए ऊंटों को बाहर निकालने के बजाये उसी गाड़ी में भरकर ले जाया जा रहा था। दूसरी गाड़ी में भी यही हाल था।

राजस्थान व हरियाणा से बाहर नहीं ले जा सकते ऊंट: रेंजर अनिल ने बताया कि ऊंट हरियाणा और राजस्थान में खरीदे बेचे जाते हैं। यहां यह वैध है, लेकिन इन्हें इन राज्यों से बाहर नहीं ले जाया जा सकता लेकिन बेधड़क तस्करी चल रही थी। गुरुवार को चालक, खलासी, श्रमिक व छह तस्करों पर पशु क्रूरता,आपराधिक षड्यंत्र कर ऊंटों की तस्करी, जानवरों के साथ मारपीट, ठगी का मामला दर्ज हुआ है। इसमें बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर के चापाहाट और मालदा के भादो गांव के सात-आठ लोग शामिल हैं। सभी तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हैं।

पाकुड़ के एसपी मणिलाल मंडल ने बताया कि पाकुड़ में लगातार ऊंट पकड़ा जाना गंभीर मामला है। दोनों ही मामले में केस दर्ज किया गया है। इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे। अन्य तस्करों तक पहुंचने के लिए पुलिस पूरी शिद्दत से अनुसंधान में जुट गई है। 

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