वियतनाम ने पहली बार भारत से चावल आयात किया है. इसके पहले अंतरराष्ट्रीय चावल व्यापार में दोनों देश प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं और दोनों प्रमुख निर्यातक रहे हैं.
वियतनाम वैसे तो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है, लेकिन वहां के घरेलू बाजार में चावल की कीमत 9 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है. इसलिए सीमित घरेलू आपूर्ति के कारण वियतनाम को भारत से चावल की खरीद करनी पड़ी.
क्या होगा असर
वियतनाम द्वारा चावल खरीद यह दिखाता है कि एशिया में इस अनाज की आपूर्ति में तंगी है और यह भी संकेत मिलता है कि साल 2021 में चावल के दाम बढ़ सकते हैं. इसका दूसरा प्रभाव यह भी देखने को मिल सकता है कि वियतनाम और थाइलैंड से पारंपरिक रूप से चावल खरीदने वाले देश अब भारत की ओर रुख करें. भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है.
70,000 टन चावल का ऑर्डर
इस इंडस्ट्री के पदाधिकारियों का कहना है कि भारतीय व्यापारियों को कुल 70,000 टन चावल का ऑर्डर मिला है जो पूरी तरह से टुकड़ा चावल का है. जिसको जनवरी-फरवरी भेजा जाएगा.
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी.वी. कृष्णाराव ने कहा, 'हम पहली बार वियतनाम को एक्सपोर्ट कर रहे हैं. भारत में कीमतें काफी आकर्षक हैं. दाम में काफी अंतर होने से यह संभव हुआ है.'
भारतीय चावल काफी सस्ता
भारत टुकड़ा चावल 381 से 387 अमेरिकी डॉलर (27,800 से 28,400 रुपये के बीच) प्रति टन पर बेच रहा है. दूसरी ओर, वियतनाम के घरेलू बाजार में टुकड़ा चावल 500 से 505 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की दर से बिक रहा है. भारतीय चावल की इस आकर्षक कीमत ने एशियाई और अफ्रीकी देशों से इसकी मांग बढ़ा दी है.
2019 की तुलना में 2020 में वियतनाम का कुल उत्पादन 1.85% गिर गया. इसके अलावा 2020 में वियतनाम के चावल का निर्यात 2019 की तुलना में 3.5% कम हो गया है.
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