कोलकाता बाइकरों पर अंकुश लगाने के लिए कोलकाता पुलिस पुलिस अपनी पुरानी पद्धति को फिर से लागू करने जा रही है। इस पद्धति के तहत बिना लाइसेंस के टू ह्वीलर नहीं खरीदे जा सकते हैं। कोलकाता पुलिस ने परिवहन विभाग को एक पत्र देकर इस संबंध में सख्त कार्रवाई करने का आनुरोध किया है।
कोलकाता पुलिस के आयुक्त अनुज शर्मा ने पुलिस अधिकारियों के साथ मासिक अपराध दमन की बैठक में इस मुद्दे को उठाया।
उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बाइकरों की उद्दंडता पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? पुलिस अधिकारियों से उन्होंने सवाल किया कि क्या वे खुद सडक़ पर उतर कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। इसके बाद ट्रैफिक विभाग में हलचल मच गई। काफी विचार विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि बिना लाइसेंस के किसी को भी बाइक या स्कूटर न बेचने की पुरानी पद्धति को कड़ाई से लागू की जाए।
दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए बने थे नियम
राज्य सरकार ने एक समय में सडक़ दुर्घटनाओं से बचने के लिए इस तरह के निर्देश जारी किए थे। लेकिन यह नियम रजिस्टर में ही दबकर रह गया। अभी तक इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया है। पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर इसे सख्ती से लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
50 हजार से अधिक मामले दर्ज
पुलिस के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों के अनलॉकडाउन में लगभग 50,000 से भी अधिक मोटरसाइकिल और स्कूटर चालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या भी इस दौरान कुछ बढे हैं। पिछले एक महीने में इस तरह की कम से कम 24 मौतें हुई हैं। सडक़ हादसों में घायलों की संख्या 90 से अधिक है। कोलकाता के श्यामबाजार ट्रैफिक गार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोलकाता ट्रैफिक पुलिस के डीसी रूपेश कुमार के निर्देश पर लाइसेंस के मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है। जिनके पास लाइसेंस नहीं उनके खिलाफ कानून के कुछ धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यातायात पुलिस के एक बड़े वर्ग ने दावा किया कि अन्य वर्षों की तुलना में इस बार सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है।
क्या है बेचने के नियम
नियम के मुताबिक, टू ह्वीलर डीलरों को सबसे पहले परिवहन विभाग की वेबसाइट पर वाहन बेचने के लिए सभी दस्तावेजों को अपलोड करना होता है। आवेदन में भेजे गए फोटो के साथ बाइक के विवरण की जांच करने के बाद, मोटर वाहन कार्यालय के तकनीकी अधिकारियों द्वारा इसे आरटीओ कार्यालय में भेजा जाता है। सब कुछ जांचने के बाद, आरटीओ कार्यालय से डीलर को पंजीकरण की मंजूरी दी जाती है। डीलर नंबर प्लेट बनाकर परिवहन विभाग की साइट पर तस्वीर फिर से अपलोड करता है। इसकी जांच करने के बाद, अंतिम पंजीकरण प्रमाण पत्र या आरसी बुक दी जाती है।
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