'राष्ट्रीय बालिका दिवस' तथा 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस' पर 'ओजस्विनी' द्वारा ऑनलाइन परिचर्चा


-शिक्षित होंगी बेटियाँ, तभी सशक्त तथा सुरक्षित होगा हमारा भारत- डॉ प्रियदर्शनी

युवा शक्ति संवादाता
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गया।अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की सहयोगी संस्था 'ओजस्विनी' द्वारा रविवार को 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' तथा 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के सुअवसर पर 'शिक्षित बेटियाँ, सुरक्षित भारत' विषय पर एक अॉनलाइन परिचर्चा आयोजित की गयी, जिसका शुभारंभ मोनिका मेहता द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना 'शारदे माँ श्वेत वसना, वंदना स्वीकार कर' से हुआ। संगठन की जिलाध्यक्ष डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने सभी प्रतिभागियों को सुअवसर की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जहाँ राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में बेटे-बेटियों के मध्य किए जा रहे भेदभाव को रोककर लिंगानुपात में सुधार लाना है, वहीं 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस' का उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्ता वाले शैक्षिक अवसरों को उपलब्ध करवाना है। बेटियाँ बेटों से किसी भी दृष्टि से कम नहीं हैं, अतः उनके साथ बरते जाने वाली असमानता तथा क्रूरता पूर्णतया निराधार तथा असंगत है। यह समाज की प्रगति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। डॉ प्रियदर्शनी ने कहा कि 24 जनवरी 1966 को ही इंदिरा गांधी जी ने भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। अतः यह दिवस भारत की बेटियों को इस गौरवमय सत्य का बोध कराता है कि यदि बेटियाँ शिक्षित हों, तो वे हर क्षेत्र में अपनी गरिमामय पहचान बना सकती हैं। शिक्षा से महिलाओं में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता तथा आत्मसम्मान की भावनाएँ विकसित होती हैं, जिनसे व्यक्ति, घर, परिवार तथा पूरे समाज को दूरगामी लाभ होते हैं। बेटियाँ शिक्षित होंगी, तभी हमारा भारत देश सशक्त और सुरक्षित हो सकेगा। 

आदर्श मध्य विद्यालय, चिरैली की विज्ञान शिक्षिका डॉ ज्योति प्रिया ने कहा कि महिलाएं और बालिकाएं शिक्षित होंगी, तभी वे अपनी तथा घर-परिवार और समाज की स्वच्छता, स्वास्थ्य तथा पोषण के प्रति जागरूक रह सकेंगी। उन्होंने लड़कियों को साइबर अपराधियों से भी सावधान रहने की हिदायत दी। अमीषा भारती ने कहा कि शिक्षा से आर्थिक स्वावलंबन विकसित होता है, अतः परिवार के हर सदस्य का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वह लड़कियों की शिक्षा को सुनिश्चित करे। मोनिका मेहता ने कहा कि यदि हमारे माता-पिता हमें शिक्षा पाने और करियर बनाने हेतु हर अवसर दे रहे हैं, तो हमें भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देना चाहिए। शिल्पा साहनी के मतानुसार महिलाओं को महिलाओं की सफलता से जलना नहीं चाहिए, अपितु आगे बढ़ने में परस्पर सहयोग करना चाहिए। वही ज्योति कुमारी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उनकी माँ को एक शिक्षिका के रूप में कार्य करने के लिए परिवार तथा गाँव वालों की अनेक टीका-टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था, किंतु उन्होंने इन सब बातों का अपने ऊपर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने दिया और आज वह हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अश्विनी कुमार ने कहा कि माता-पिता द्वारा बेटे-बेटियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए, दोनों को आगे बढ़ने हेतु समान सहयोग तथा अवसर देना चाहिए। इस वेबिनार में शामिल काजल, ममता,  प्रियंका आदि अन्य सदस्यों ने इस सत्य से सहमति जताई कि यदि एक बेटी शिक्षित होती है तो पूरा परिवार और समाज शिक्षित तथा सुरक्षित होता है।

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