आज कार्तिक मास का प्रदोष महत्व है। आज शुक्रवार है और आज प्रदोष व्रत पड़ा है। ऐसे में आज के व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। इस दिन सभी शिव भक्त भोलेनाथ का व्रत करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। इस व्रत को वर्ष भर के सभी व्रतों में से मंगलकारी माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उस पर शिव जी और माता पार्वती की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
27 नवंबर, शुक्रवार सुबह 6 बजकर 53 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है। इस पूरे दिन प्रदोष व्रत किया जा सकता है। राहूकाल का मुहूर्त 27 नवंबर, शुक्रवार सुबह 10 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजा न करें।
प्रदोष व्रत पूजा विधि:
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं। फिर स्नानादि कर साफ वस्त्र पहन लें।
फिर एक चौकी लें। इस पर गंगाजल की छीटें डालां। इसके बाद इस पर सफेद या बादामी रंग का कपड़ा बिछाएं।
इसके बाद चौकी पर शंकर जी की प्रतिमा स्थापित करें।
फिर शिव जी को सफेद चंदन या गोपी चंदन का तिलक लगाएं। इन्हें सफेद फूलों की माला चढ़ाएं।
इसके बाद धूप और अगरबत्ती जलाएं। साथ ही तेल का दीपक जलाएं।
फिर आसन पर बैठ जाएं। यह आसन सफेद रंग का होना चाहिए। इसके बाद भोलेनाथ का ध्यान करें।
फिर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। इसके बाद शिव स्तुति और शिव स्तोत्र का पाठ भी करें।
इसके बाद शिव मंत्रों का जाप करें। साथ ही शिव जी के जयकारे भी लगाएं।
शिव जी को खीर का भोग लगाएं। इस पूरे दिन व्रत किया जाता है।
आखिरी में भोलेनाथ को दंडवत प्रणाम करें और पूजा संपन्न करें।
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