शिकारीपाड़ा के रंगदार मुन्ना राय ने पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि उसने पत्थर कारोबारी पर रौब झाडऩे एवं उसे और दबाव में लाने के लिए विधायक बसंत सोरेन का नाम लिया था। बसंत सोरेन से उसके ताल्लुकात नहीं है, न कोई लेना-देना है। बसंत सोरेन का नाम लेने के लिए उसे किसी ने कहा नहीं था। मन में आया तो नाम ले लिया।
दुमका एसपी अंबर लकड़ा ने दावा किया कि मुन्ना राय से बसंत सोरेन के बाबत लंबी पूछताछ की गई। अकारण बसंत सोरेन का उसने नाम लिया है। उन्होंने बताया कि मुन्ना राय के साथ उसके चार सहयोगी भी पकड़े गए हैं। सभी लोग रंगदारी वसूली में किसी न किसी तरह उसका सहयोग करते हैं। उनके पास एक पिस्तौल, दो देसी कïट्टा, 19 गोली एवं छह मोबाइल जब्त किए गए हैं। पत्थर कारोबारी मनोज भगत को मुन्ना राय के जिस सहयोगी ने गोली मारी थी, उसकी शिनाख्त हो चुकी है। वह फरार है। जल्द वो भी पुलिस की गिरफ्त में होगा।
पुलिस मुख्यालय में रविवार को अंबर लकड़ा ने बताया कि शनिवार की रात तीन बजे सूचना मिली कि शिकारीपाड़ा में गोसाईपहाड़ी से पांच किलोमीटर दूर घने जंगल में बंद पत्थर खदान के पास एक कमरे में मुन्ना राय सोया है। छापामारी की गई। पंचवाहिनी गांव के मुन्ना उर्फ लक्ष्मण राय के साथ हरिणङ्क्षसघा के लालू राय व गोसाईपहाड़ी के सेमल हेम्ब्रम को भी गिरफ्तार किया। उनके पास असलहे एवं गोली मिले। उनसे पूछताछ के बाद उमेश सिंह एवं दुमका शहर के विप्लव शर्मा को पकड़ा गया। उमेश एवं विप्लव पुलिस के मूवमेंट की जानकारी मुन्ना को देते थे। उन्होंने कहा कि मुन्ना राय को जल्द रिमांड पर लिया जाएगा। पूछताछ में और भी चौंकाने वाली बातें सामने आ सकती है।
दो साल पहले पुलिस का मुखबिर था मुन्ना
एसपी अंबर लकड़ा ने बताया कि दो साल पहले मुन्ना राय एवं उमेश सिंह पुलिस के लिए मुखबिरी करते थे। पुलिस के साथ संपर्क टूटने के बाद मुन्ना ने अपराध की राह पकड़ ली।
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