भारत को मिली स्विस बैंक के खातों की डिटेल, IT डिपार्टमेंट की होगी निगरानी

भारतीयों के लिए ब्‍लैक मनी का अड्डा बन चुके स्विस बैंक ने भारत सरकार को नई लिस्‍ट सौंपी है. इस लिस्‍ट में भारत के उन नागरिकों और संस्‍थाओं की जानकारी होगी, जिनका अकाउंट स्विस बैंक में है. इन जानकारी से टैक्‍स अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलेगी कि क्या टैक्‍सपेयर्स ने रिटर्न में अपने वित्तीय खातों के बारे में सही जानकारी दी है. इस तरह का अगला आदान-प्रदान सितंबर 2021 में होगा. 

भारत को मिली दूसरी लिस्‍ट 

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारत को सूचनाओं की स्वत: आदान-प्रदान व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों और संस्थाओं के स्विस बैंक खातों की जानकारी का दूसरा सेट मिला है. भारत उन 86 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने इस साल एईओआई पर वैश्विक मानक ढांचे के भीतर वित्तीय खातों की जानकारी साझा की है. भारत को एईओआई (सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान) के तहत सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से विवरण का पहला सेट मिला था. उस समय इसमें 75 देश शामिल थे.

एफटीए ने शुक्रवार को एक बयान में कहा इस साल सूचना के आदान-प्रदान में लगभग 31 लाख वित्तीय खाते शामिल हैं. वर्ष 2019 में भी करीब इतने ही खातों की जानकारी दी गई थी. हालांकि, बयान में 86 देशों के बीच भारत के नाम का अलग से उल्लेख नहीं था, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि भारत उन प्रमुख देशों में है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने स्विस बैंकों के ग्राहकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के वित्तीय खातों के बारे में विवरण साझा किया है.

इस साल 86 देशों के साथ साझा 

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि इस साल 86 देशों के साथ स्विट्जरलैंड ने 30 लाख से अधिक वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की है और इसमें बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों और संस्थाओं से संबंधित है. उन्होंने कहा कि स्विस अधिकारियों ने भारत के अनुरोध पर पिछले एक साल में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और संस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है, जिनके खिलाफ टैक्‍स चोरी और वित्तीय गड़बड़ियों की जांच चल रही थी. ये मामले ज्यादातर पुराने खातों से संबंधित हैं, जो 2018 से पहले बंद हो चुके हैं. 

2018 के दौरान सक्रिय खातों पर लागू

एईओआई (सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान) केवल उन खातों पर लागू होता है, जो 2018 के दौरान सक्रिय थे या इस बीच बंद किए गए. इनमें से कुछ मामले भारतीयों द्वारा पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और केमैन आइलैंड जैसे स्थानों की संस्थाओं में जमा धन से संबंधित हैं. इनमें से ज्यादातर व्यापारी हैं, जबकि कुछ राजनेता और उनके परिजन भी शामिल हैं. अधिकारियों ने हालांकि गोपनीयता का हवाला देते हुए भारतीयों के मौजूदा खातों की संख्या या इनमें जमा धनराशि के बारे में ब्यौरा देने से इनकार किया. स्विस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है.


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