बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी से झारखंड भी अछूता नहीं है। बिहार के 10 जिलों की सीमा झारखंड से सटी है और यहां की लगभग पांच दर्जन सीटों पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने में राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं-नेताओं की अहम भूमिका होगी। इस रेस में सशक्त संगठनात्मक ढांचे वाली भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे है।
भाजपा के प्रमुख नेताओं की एक टीम पिछले 15 दिनों से झारखंड से सटे बिहार के जिलों में कैंप कर रही है। इसकी कमान प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के हाथ में हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा के मुताबिक फिलहाल जहानाबाद, अरवल, गया, नवादा, औरंगाबाद, जमुई, भागलपुर, बांका आदि जिलों में अनुभवी नेताओं की टीम धरातल पर काम करने में जुटी है। जल्द ही दूसरा दल भी वहां के लिए रवाना होगा। इन नेताओं के जिम्मे चुनाव की आधारभूत संरचना तैयार करने का जिम्मा है।
इसमें बूथ स्तर की संरचना और लगातार कार्यकर्ताओं व समर्थकों संग संपर्क का कार्य है। स्थानीय इकाई की योजना के मुताबिक भी परिस्थिति के अनुरूप कार्यकर्ताओं को खास टास्क दिए जाते हैं। ऐसे अनुभवी कार्यकर्ताओं का आदान-प्रदान हर चुनाव में होता है। उधर झारखंड प्रदेश कांग्रेस की तैयारी भी बिहार चुनाव के मद्देनजर है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक चुनाव में योजना के मुताबिक नेताओं-कार्यकर्ताओं का जत्था बिहार के लिए रवाना होगा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए कार्य करेगा।
इसकी संरचना राष्ट्रीय स्तर पर मिले दिशा-निर्देश के मुताबिक तय की जाएगी। बिहार में सत्तारूढ़ जदयू का झारखंड में संगठनात्मक ढांचा बहुत प्रभावी नहीं है। इसके बावजूद सीमावर्ती जिलों में शीर्ष नेतृत्व के निर्देशानुसार नेता-कार्यकर्ता अभियान चलाएंगे। इसके अलावा राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा भी बिहार में कुछ सीटों पर राजद के तालमेल से प्रत्याशी देने की तैयारी में है। झारखंड में दोनों सहयोगी दल हैं। इस नाते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार चुनाव में झारखंड से सटे जिलों में प्रचार अभियान चलाएंगे।
लालू प्रसाद पर रहेगी नजर
चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर भी चुनाव के दौरान खास फोकस होगा। फिलहाल वे रिम्स अस्पताल के निदेशक के बंगले में इलाजरत हैं और यहां उनसे मिलने के लिए राजद के प्रमुख नेताओं और टिकट की आस में आने वालों का जमघट लगता है। उनकी जमानत अर्जी पर भी हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। कोर्ट के निर्णय पर सबकी नजर है। फैसला उनके पक्ष में आया तो राजद का मनोबल ऊंचा होगा। प्रतिकूल फैसला आने की स्थिति में लालू प्रसाद विभिन्न माध्यम से अपनी बातें आमलोगों तक पहुंचाएंगे।
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