झारखंड के लातेहार में टोरी रेलवे ट्रैक को जाम कर बैठे टाना भगतों का आंदोलन शनिवार सुबह समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से आंदोलन कर रहे टाना भगत समुदाय के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद उन्होंने धरना-प्रदर्शन खत्म करने का फैसला लिया। हालांकि, टाना भगत के इस आंदोलन को समाप्त कराने में मध्यस्थता करने वाले लिए जेएमएम विधायक बैद्यनाथ राम और प्रशासन को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा।
हेमंत सोरेन ने टाना भगत प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दूत बनकर आए लातेहार विधायक बैद्यनाथ राम और वरिष्ठ अधिकारियों ने मध्य रात्रि तक टाना भगत समुदाय के लोगों को समझाया। टाना भगत के रेल ट्रैक से नहीं हटने पर विधायक बैद्यनाथ राम ने कहा कि मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम ने एक बार समुद्र से रास्ता मांगा था। उनके अनुनय-विनय के बाद समुद्र नहीं मान रहा था। इसके बाद उन्हें बाण उठाना पड़ा। टाना भगतों का पूरा देश सम्मान करता है इसलिए वैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो इसका प्रयास करें।
जेएमएम विधायक बैद्यनाथ राम ने निभाई अहम भूमिका
बैद्यनाथ राम ने कहा कि दो दिनों से उन्हें सम्मान देने और मनाने का प्रयास किया जा रहा है और वो हठधर्मिता पर अड़े हैं, यह न्यायोचित नहीं है। टाना भगत राष्ट्रपिता बापू के अनुनायी कहे जाते हैं। वो देश हित के लिए कार्य करें। विकास में सहभागिता निभाएं। इसके बाद करीब 55 घंटे के आंदोलन को टाना भगत समुदाय स्थगित करने पर सहमत हो गया। हालांकि इस दौरान एक गुट प्रारंभ में नाराज भी दिखा, लेकिन बाद में सभी आंदोलन खत्म करने पर सहमत हो गए।
55 घंटे के बाद खत्म हुआ आंदोलन, रेल परिचालन शुरू
इससे पहले भी आंदोलन के दूसरे दिन गुरुवार को भी विधायक ने टाना भगत को घंटों समझाने का प्रयास किया था। तीसरे दिन शुक्रवार देर तक विधायक और आंदोलनकारियों के बीच लगातार सात घंटे की हुई बातचीत और मान-मनव्वल के बीच कई बार टाना भगत समुदाय ने आपस में वार्ता के लिए समय लिया। इस दौरान कई अवसर पर विधायक और टीम के साथ कई बार आंदोलनकारियों की नोक-झोंक की स्थिति बनती दिखी। अंततः उनका आंदोलन समाप्त हुआ। इसके साथ ही 55 घंटे के पश्चात इस रेलमार्ग पर परिचालन प्रारंभ हो गया।
इन मांगों को लेकर टाना भगत का आंदोलन
भूमि का पट्टा देने, लगान माफ करने और सीएनटी एक्ट को सख्ती से लागू करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर राज्यभर के टाना भगत समुदाय की ओर से टोरी रेलवे स्टेशन पर धरना दिया जा रहा था। जिसके कारण इस रेल खंड पर अप और डाउन मार्ग पर कई मालगाड़ियों का परिचालन बाधित था। इस आंदोलन की वजह से रेलवे को प्रति घंटे दो करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा था। रेलवे की ओर से झारखंड सरकार से टाना भगत के आंदोलन को खत्म करने के लिए कहा गया था। फिलहाल टाना भगत का आंदोलन खत्म हो गया है।
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