फेसबुक विवादः अब कर्मचारियों ने भी कंपनी की पॉलिसी पर उठाए सवाल, लिखी चिट्ठी


विवादों में घिरी फेसबुक और भारत में पब्लिक पॉलिसी डायरेक्‍टर अंखी दास को कंपनी में कार्यरत अन्य कर्मचारियों की ओर से आंतरिक रूप से ऐसे कई सवालों का सामना करना पड़ा रहा है जिसमें उसके सबसे बड़े मार्केट में राजनीतिक सामग्री को किस तरह से विनियमित किया जाता है जैसे सवाल शामिल हैं.

वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा खबर प्रकाशित किए जाने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्क भारत में एक सार्वजनिक-संबंधों और राजनीतिक विवादों को लेकर सवालों का सामना कर रहा है. अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक ने भारत में बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच के मामलों में एक्शन लेने के नियमों में नरमी बरती है.

11 कर्मचारियों ने लिखा पत्र

रॉयटर्स से जुड़े सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनियाभर में, फेसबुक के कर्मचारी इस बारे में सवाल उठा रहे हैं कि क्या भारत की एफबी टीम द्वारा पर्याप्त प्रक्रियाओं और सामग्री विनियमन प्रथाओं का पालन किया जा रहा था.

एक इंटरनल प्लेटफॉर्म पर 11 कर्मचारियों की ओर से फेसबुक के टॉप स्तर को लिखे गए ओपन लेटर जिसके बारे में रॉयटर्स अपने पास होने का दावा करता है, में कहा गया कि कंपनी का नेतृत्व 'मुस्लिम विरोधी कट्टरता' की निंदा करे और इस संबंध में अधिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित की जाए.

पत्र में यह भी मांग की गई है कि फेसबुक की 'भारत में पॉलिसी टीम (और अन्य जगहों पर) में विविध प्रतिनिधित्व शामिल हैं.'

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, 'यह महसूस करना मुश्किल है कि हम निराश और दुखी नहीं हैं. हम जानते हैं कि हम इसमें अकेले नहीं हैं. कंपनी के कर्मचारी समान भावना व्यक्त कर रहे हैं.' चिट्ठी में यह भी कहा गया कि फेसबुक पर मुस्लिम समुदाय हमारे कहने पर फेसबुक नेतृत्व को सुनना पसंद करेगा.

फेसबुक और अंखी दास ने फिलहाल इस पर तुरंत किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की है.

अंखी दास के खिलाफ केस दर्ज

हालांकि देश में फेसबुक को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. छत्तीसगढ़ पुलिस ने फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्‍टर अंखी दास के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अंखी दास और दो अन्य के खिलाफ यह मामला सोमवार रात में रायपुर में दर्ज किया गया. इससे पहले, अंखी दास ने धमकी देने के मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी.

ऐसा नहीं है कि फेसबुक इस तरह का सामना पहली बार कर रहा है. पहले भी फेसबुक को लेकर सवाल खड़े हुए हैं. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने उन पांच बातों के उल्लेख के साथ एक रिपोर्ट में बताया कि फेसबुक के नेटवर्क और डेटा का इस्तेमाल डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी मुहिम को बढ़ावा देने के लिए किया गया था.

पिछले दिनों अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल (डब्ल्यूएसजे) में 'फेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कोलाइड विद इंडियन पॉलिटिक्स' हेडिंग से प्रकाशित रिपोर्ट से पूरा विवाद खड़ा हुआ है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि फेसबुक भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषा के मामले में नियम कायदों में ढील बरतता है. फेसबुक कर्मचारियों का कहना था कि भारत में ऐसे कई लोग हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नफरत फैलाते हैं. कर्मचारियों का कहना है कि वर्चुअल दुनिया में नफरत वाली पोस्ट करने से असली दुनिया में हिंसा और तनाव बढ़ता है.

फेसबुक की सफाई

डब्ल्यूएसजे के लेख में यह भी कहा गया है कि अंखी दास ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के करीबी नेताओं के लिए हेट स्पीच के खिलाफ नियम लागू करने से देश में कंपनी की व्यावसायिक संभावनाओं को नुकसान होगा.

रिपोर्ट आने के बाद, इस मामले पर फेसबुक ने सफाई में कहा कि कंपनी हिंसा भड़काने वाले हेट स्पीच को प्रतिबंधित करती है और राजनीतिक स्थिति या पार्टी की संबद्धता के बिना नीतियों को लागू करती है.

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