कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव को लेकर 17 दिन पहले पार्टी के करीब दो दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा. पत्र सार्वजनिक होते से पार्टी में भूचाल आ गया. सोमवार को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई. इसमें सोनिया ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश भी कर दी. इसके बाद सीडब्ल्यूसी में 7 घंटे तक मंथन चला, लेकिन नतीजा यही निकला कि सोनिया अगले अध्यक्ष का चुनाव होने तक अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी. यानी 17 दिन की बगावत और 7 घंटे के मंथन के बाद कांग्रेस वहीं खड़ी है जहां पहले थी.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस नेतृत्व बदलाव पर कोई फैसला नहीं हो सका. सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद पर कुछ और महीनों तक रहने पर सहमति बनी. कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव आने वाले छह महीनों के भीतर किया जाएगा. इस तरह कांग्रेस की बैठक जहां से शुरू हुई, वहीं पर आकर खत्म हो गई.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के सवाल पर आज भी वहीं खड़ी है, जहां वो सवा साल पहले तब खड़ी थी, जब राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने तब कहा था कि वो अध्यक्ष के रूप में काम नहीं करना चाहते लेकिन पार्टी के लिए काम करते रहेंगे.
कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए पार्टी के कई नेताओं के नाम पर चर्चा होती रही, लेकिन हफ्तों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर फिर से सोनिया गांधी को कमान सौंप दी गई. दस अगस्त को सोनिया का कार्यकाल खत्म हो रहा था, जिसे बढ़ा दिया गया है. सोनिया गांधी की उम्र और सेहत संगठन के कामकाज का बोझ बर्दाश्त करने की इजाजत अब नहीं देती हैं. ऐसे में पार्टी का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि राहुल गांधी दोबारा से कांग्रेस की कमान संभालें और दूसरा धड़ा गैर गांधी-परिवार के नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक समेत 23 नेताओं ने अगस्त के पहले हफ्ते में सोनिया गांधी को पत्र लिखा. इस पत्र में कांग्रेस नेताओं ने सोनिया से पूर्णकालिक और जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की थी. इन सभी नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी अपनी क्षमता और योग्यता से पार्टी को जहां ले जा सकती थीं, ले जा चुकी हैं.
सोनिया को पत्र लिखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी को लेकर जनता में जो धारणा बनी है, उससे 2024 का चुनाव कांग्रेस जीत पाएगी इसमें संदेह है. प्रियंका गांधी भी वह करिश्मा नहीं दिखा पा रही हैं, जिसकी अपेक्षा थी. ऐसे में कांग्रेस को मोदी की बीजेपी के मुकाबले खड़ा करने के लिए गैर गांधी अध्यक्ष जरूरी है और यह गैर गांधी अध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद का नहीं बल्कि सब वरिष्ठ नेताओं की सहमति से होना चाहिए.
माना जा रहा था कि आज की बैठक में कांग्रेस को पूर्णकालिक नया अध्यक्ष मिलने की जमीन तैयार होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. सीडब्ल्यूसी बैठक खत्म होने के बाद प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बैठक में सोनिया और राहुल गांधी के हाथों में पार्टी को हर संभव तरीके से मजबूत करने का संकल्प लिया गया. पार्टी को कमजोर करने की अनुमति न तो किसी को दी जा सकती है और न दी जाएगी.
सुरजेवाला ने कहा, 'पार्टी के अंदरूनी मामलों पर विमर्श मीडिया या सार्वजनिक पटलों पर नहीं किया जा सकता है. सभी नेताओं से कहा गया कि पार्टी से संबंधित मुद्दे पार्टी से संबंधित मंचों से ही रखे जाएं, जिससे पार्टी में अनुशासन बना रहे. एआईसीसी के अगला अधिवेशन बुलाए जाने तक सोनिया गांधी पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष पद पर बनी रहें, जिसे उन्होंने स्वीकार किया.'
उन्होंने कहा, 'पार्टी में संगठनात्मक बदलाव का पूरा अधिकार सीडब्ल्यूसी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया है ताकि सभी चुनौतियों का सामना किया जा सके. बैठक में सोनिया ने कहा कि हम एक विशाल परिवार हैं, जिसमें मुद्दे उठते हैं. लेकिन अंत में हम एक साथ आते हैं. समय की मांग यह है कि हम जनता के लिए और उन ताकतों के खिलाफ लड़ें जो देश को कमजोर कर रही हैं.
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