West Bengal :बंगाल में सप्ताह में दो दिन लॉकडाउन से जूट उद्योग पर पड़ सकता है असर


पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के कारण लगाए गए लॉकडाउन से जूट उद्योग के प्रभावित होने की आशंका है। राज्य प्रशासन ने कोविड-19 संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के देखते हुए पूरे राज्य में सप्ताह में दो दिन- गुरुवार और शनिवार को लॉकडाउन लागू करने का फैसला किया है। इस बार यह लॉकडाउन 23 जुलाई और 25 जुलाई को होगा।

राज्य सरकार की अधिसूचना के मुताबिक इस दौरान जूट मिल का मुख्य द्वार बंद रहेगा और किसी भी मजदूर को अंदर आने या जाने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि, राज्य प्रशासन ने कहा है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान यदि मजदूर अंदर ही रहते हैं, तो उन्हें काम करने की इजाजत दी जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के दिनों में जूट मिलें बंद रहेंगी, लेकिन यदि कारखाने के कर्मचारी परिसर के अंदर हैं, तो काम करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि जूट मिल मालिकों का कहना है कि इसके लिए उन्हें अतिरिक्त लागत वहन करनी होगी, क्योंकि मजदूरों के रहने और खाने का इंतजाम उन्हें ही करना होगा।

उद्योग सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा यदि मजदूर पूरे समय परिसर के अंदर ही साथ में रहते हैं, तो कोविड-19 संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि जूट मिलों को 24 मार्च को बंद करने के बाद एक जून से दोबारा पूरी तरह कामकाज की अनुमति दी गई थी।

बताते चलें कि भारत के जूट उद्योग में पश्चिम बंगाल का प्रथम स्थान है। देश के कुल 114 जूट कारखानों में से 102 यहीं स्थापित हैं। यहां हुगली नदी के दोनों किनारों पर 3 से 4 किमी की चौड़ाई में 97 किमी लंबी पेटी में इन कारखानों की स्थापना की गयी है। रिसरा से नैहाटी तक विस्तृत 24 किमी लंबी पट्टी में इस उद्योग का सर्वाधिक केंद्रीकरण हो गया है।यहां जूट उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं- रिसरा, बाली, आगरपाड़ा, टीटागढ़, बांसबेरिया, कंकिनारा, उलबेरिया, श्रीरामपुर, बजबज, हावड़ा, श्यामनगर, शिवपुर, सियालदाह, बिरलापुर, बारानगर, बैरकपुर, लिलुआ, बाटानगर, बेलूर, संकराईल, हाजीनगर, भद्रेश्वर, जगतदल, आदि। 

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