West Bengal :भाजपा को रोकने के लिए नागरिकता बिल व बंगाली अस्मिता को हथियार बनाएंगी ममता !


पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव तो अगले साल है लेकिन राजनीतिक सरगर्मियां अभी से दिखाई देने लगी हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य में पहली बार 18 सीटें जीतकर सभी राजनीतिक विश्लेषकों को आश्चर्यचकित कर दिया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगा था कि अब विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा से तगड़ी टक्कर मिल सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि ऐसा लगने लगा है जैसे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ नागरिकता बिल और बंगाली अस्मिता की लड़ाई को मुद्दा बनाने की ठान ली है।

शहीद दिवस के भाषण में दिए संकेत

दरअसल तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने शहीद दिवस पर मंगलवार को दिए अपने भाषण में साफ कर दिया है कि वो भाजपा को राज्य में एनआसी और एनपीआर नहीं लागू करने देंगी। दिल्ली दंगे के जिक्र से स्पष्ट समझ में आया कि वो 2021 के चुनाव में नागरिकता बिल को प्रमुखता देने वाली हैं।

अल्पसंख्यकों के मतों का ध्रुवीकरण

जानकारों का कहना है कि इन सारी बातों का जिक्र कर उन्होंने पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यकों के भीतर बैठी दुविधा को एक बार फिर हवा दे दी है जिससे विधानसभा चुनाव के दौरान समुदाय के मतों का ध्रुवीकरण उनकी तरफ हो।गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या फीसद है। राज्य में बड़ी संख्या में ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां पर उनके वोट से ही जीत-हार तय होती है। ऐसे में ममता बनर्जी नहीं चाहतीं कि उनका कोर वोटर छिटक कर दूसरी पार्टी का रुख करे।

हिंदू शरणार्थियों का दिल जीतने की कोशिश

नागरिकता संशोधन बिल का जिक्र कर ममता बनर्जी बंगाली हिंदू शरणार्थियों का भी समर्थन हासिल करना चाहती हैं। जिन इलाकों में ऐसे समुदाय की संख्या ज्यादा है वहां पर 2019 के चुनाव में भाजपा ने बड़ी सफलता हासिल की थी।

बाहरी का मुद्दा

साथ ही सीएम ममता ने 'बाहरी' का मसला उठाकर भी भाजपा को घेरने की कोशिश की है। अब तक पश्चिम बंगाल में भाजपा की एक कमजोरी यह भी देखी गई है कि उसके पास कोई ऐसा बड़ा राजनीतिक चेहरा नहीं है जो राज्य में ममता बनर्जी को टक्कर दे सके। 

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