सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हस्त नक्षत्र के संयोग में आज नाग पंचमी जा रही है। श्रद्धालु नागदेवता की पूजा कर दुग्धाभिषेक कर रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए पंडितों ने श्रद्धालुओं से घर पर ही पूजा करने की अपील की है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की आराधना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी की कथा
नाग पंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है इसका वर्णन कई तरह से किया गया है। भविष्यपुराण के अनुसार, जब सागर मंथन हुआ था तब नागों ने अपनी माता की आज्ञा नहीं मानी थी। इसके चलते नागों को श्राप मिला था। नागों को कहा गया था कि वो राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। इससे नाग बहुत ज्यादा घबरा गए थे। इस श्राप से बचने के लिए सभी नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंचें। उन्होंने ब्रह्माजी से सारी बात कही और मदद मांगी। उन्होंने कहा कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। यह उपाय ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को बताया था।
जब महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था तब सावन की पंचमी तिथि थी। आस्तिक मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था। इसके बाद आस्तिक मुनि ने कहा था कि जो कोई भी पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
अन्य कथा
एक बार एक किसान था जिसके दो बेटे और एक बेटी थी। वो सभी एक गांव में रहते थए और बहुत ही मेहनत करते थे। किसान अपने परिवार का पेट पालने के लिए हल चलाता था। एक दिन हल जोतते हुए गलती से उसने नागिन के अंडों को कुचल दिया। इससे नागिन के अंडे नष्ट हो गए। इस समय नागिन खेत में नहीं थी। लेकिन जब वो वापस आई तो उसने देखा कि उसे अंडे नष्ट हो चुके हैं। उसने बदला लेने की ठान ली। क्रोधित नागिन ने बदले की आग में किसान के दोनों बेटों को डस लिया और उनकी मौत हो गई। दोनों बेटों को डसने के पाद नागिन किसान की बेटी को भी डसना चाहती थी। लेकिन वो घर पर मौजूद नहीं थी। इसलिए वो इसे डस नहीं पाई।
नागिन किसान की बेटी को भी डसना चाहती थी। लेकिन वो घर पर नहीं थी। किसान की बेटी को डसने के इरादे से नागिन अगले दिन फिर उसके घर पहुंची। वहां, किसान की बेटी ने एक कोटरी दूध नागिन के सामने रख दिया। यह सब देखकर वो बहुत हैरान हुई। उस लड़की ने नागिन से माफी मांगी। किसान की बेटी के क्षमाभाव को देखकर नागिन बेहद खुश हुई और उसके दोनों भाइयों को जीवित कर दिया। यह घटना श्रावण शुक्ल की पंचमी तिथि को हुई थी। इसी कारण इस दिन नागपंचमी मनाई जाती है।
ADVERTISEMENT