कोरोना संकट की वजह से देश के करीब 70 फीसदी स्टार्टअप की हालत खराब है, जबकि 12 फीसदी स्टार्टअप बंद हो चुके हैं. फिक्की-आईएएन की एक स्टडी में यह दावा किया गया है.
इंडस्ट्री चैम्बर फिक्की और इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) के देशव्यापी सर्वे 'भारतीय स्टार्टअप पर कोविड-19 का असर' के नतीजों के अनुसार, 33 फीसदी स्टार्टअप ने अपने निवेश के निर्णय को रोक लिया है और 10 फीसदी ने कहा कि उनके डील खत्म हो गए हैं.
सर्वे से पता चलता है कि अगले तीन से छह महीनों में निर्धारित लागत खर्चे को पूरा करने के लिए केवल 22 फीसदी स्टार्टअप के पास ही पर्याप्त नकदी है और 68 फीसदी परिचालन और प्रशासनिक खर्चे को कम कर रहे हैं.
कर्मचारियों की करनी पड़ेगी छंटनी
करीब 30 फीसदी कंपनियों ने कहा कि अगर लॉकडाउन को बहुत लंबा कर दिया गया तो वे कर्मचारियों की छंटनी करेंगे. इसके अलावा 43 प्रतिशत स्टार्टअप ने अप्रैल-जून में 20-40 फीसदी वेतन कटौती शुरू कर दी है.
फिक्की के महासचिव दिलीप चिनॉय ने बताया, 'इस समय स्टार्टअप सेक्टर अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है. निवेश का सेंटीमेंट तो मंदा ही है और अगले महीनों में भी ऐसा ही रहने की आशंका है. वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो के अभाव में स्टार्टअप अगले 3 से 6 महीने में बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकते हैं.'
राहत पैकेज की जरूरत
कम फंडिंग ने स्टार्टअप्स को व्यावसायिक विकास और विनिर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने को फिलहाल टालने पर मजबूर किया है. उन्हें अनुमानित ऑर्डर का नुकसान हुआ है, जिससे स्टार्टअप कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
सर्वेक्षण में स्टार्टअप्स के लिए एक तत्काल राहत पैकेज की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सरकार से संभावित खरीद ऑर्डर, कर राहत, अनुदान, आसान कर्ज आदि शामिल हैं.
सर्वे के दौरान 96 फीसदी निवेशकों ने स्वीकार किया कि स्टार्टअप में उनका निवेश कोविड-19 से प्रभावित हुआ है. वहीं 92 फीसदी ने कहा कि अगले छह महीनों में स्टार्टअप में उनका निवेश कम रहेगा.
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