मुकुल रोहतगी के बाद सिंघवी ने भी टिक टॉक का केस लड़ने से किया इनकार


भारत और चीन सीमा पर तनाव और हिंसक झड़प के बाद मोदी सरकार ने टिक टॉक समेत 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन चीनी ऐप पर निजता की सुरक्षा के चलते बैन लगाया गया है. इस पाबंदी के खिलाफ टिक टॉक कंपनी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रही है, लेकिन उसकी पैरवी करने को कोई तैयार नहीं है.

पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के बाद सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सुप्रीम कोर्ट में टिक टॉक की पैरवी करने से साफ इनकार कर दिया है.

सीनियर एडवोकेट सिंघवी ने कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट में टिक टॉक की पैरवी नहीं करूंगा. सुप्रीम कोर्ट में एक साल पहले मैंने एक मामले में टिक टॉक का केस लड़ा था और जीता था. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट में टिक टॉक की पैरवी नहीं करना चाहता हूं.'

कांग्रेस नेता सिंघवी से पहले पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में टिक टॉक की पैरवी करने से इनकार किया था, जिस पर सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी ने प्रतिक्रिया दी है. तुलसी ने कहा कि यहां पर प्रोफेशनल ड्यूटी और नेशनल ड्यूटी के बीच एक दुविधा की स्थिति है. अगर मैं भी मुकुल रोहतगी की जगह होता, तो यही करता.

सीनियर एडवोकेट तुलसी ने यह भी कहा, 'यह सच है कि इससे पहले कई बार मैंने अपने दिल की बात सुनी थी और प्रोफेशनल ड्यूटी को चुना था. जब सभी वकील किरण बेदी के खिलाफ थे, तब मैंने उनकी पैरवी की थी. इसी तरह कुछ आतंकियों की भी मैंने पैरवी की थी. इसकी वजह यह थी कि हम इस पेशे में किसी की पैरवी करने से इनकार नहीं कर सकते हैं.

आपको बता दें कि चीनी ऐप पर ये प्रतिबंध अंतरिम है. अब मामला एक समिति के पास जाएगा. प्रतिबंधित ऐप समिति के सामने अपना पक्ष रख सकती हैं इसके बाद समिति तय करेगी कि प्रतिबंध जारी रखा जाए या हटा दिया जाए. फिलहाल, ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर स्टोर से हटा दी गई हैं.

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