बस मालिकों के आगे झुकने को तैयार नहीं ममता सरकार, सड़कों पर उतरेंगी और 220 सरकारी बसें


ममता सरकार और बस मालिकों के बीच किराये को लेकर तनातनी जारी है। किराया नहीं बढ़ाए जाने से नाराज होकर ज्वाइंट काउंसिल आफ बस सिंडिकेट ने सोमवार से अपनी बस सेवा पूरी तरह से बंद कर दी है, दूसरी तरफ वेस्ट बंगाल बस एंड मिनी बस आनर्स एसोसिएशन की बसें तो चल रही हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। ऐसे में लोगों को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए ममता सरकार ने मंगलवार से और 220 सरकारी बसें चलाने का फैसला किया है। दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम की 100 और उत्तर बंगाल राज्य परिवहन निगम की 120 बसें चलाई जाएंगी।

दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम की बसें मुख्य रूप से राज्य सचिवालय नवान्न, धर्मतल्ला, नागेर बाजार, उल्टाडांगा और कमलागाजी रूटों पर चलेंगी, जहां बसों की संख्या बहुत कम हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समय बस किराया बढ़ाकर लोगों पर और आर्थिक बोझ चढ़ाने के पक्ष में नहीं है। दूसरी तरफ बस मालिक संगठनों का कहना है कि बिना किराया बढ़ाए बसें चलाना अब मुमकिन नहीं है । प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार से पहले तक कोलकाता व आसपास के इलाकों में 10 से 15 फीसद निजी बसें ही चल रही थीं, जिनकी तादाद सोमवार को 10 फीसद से भी कम हो गई हैं।

बस एंड मिनी बस ऑनर्स एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि वह उसी समय तक बसें चला पाएंगे, जब तक उनके लिए संभव हो पाएगा यानी आने वाले दिनों में अगर डीजल के दाम इसी तरह बढ़ते रहे तो उनकी बसें भी चलनी बंद हो जाएंग।  ऐसे में राज्य सरकार के लिए यात्री परिवहन को सुचारू रूप से बनाए रखना बेहद मुश्किल होगा क्योंकि आबादी के हिसाब से सरकारी बसों की संख्या बहुत कम है। इस समय कोलकाता की लाइफलाइन कही जाने वाली मेट्रो सेवा भी बंद है, जिसके कारण भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे में अब देखना यह है कि ममता सरकार और बस मालिकों में एक तरह से जो शीत युद्ध चल रहा है, वह कहां जाकर खत्म होता है। इन सबके बीच हमेशा की तरह आम लोगों को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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