कांग्रेस के झारखंड प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सह जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी और बोकारो के भाजपा विधायक बिरंची नारायण के बीच नारायणपुर दिघारी केस को लेकर रविवार को बंद कमरे में गुफ्तगू हुई। दोनों के बीच केस वापसी पर सहमति बनी। हालांकि मामला सार्वजनिक होने और राजनीतिक नुकसान को देखते हुए भाजपा विधायक ने किसी तरह के समझाैते से इन्कार किया है। उनका कहना है कि दोनों के बीच मुलाकात एक शिष्टाचार था।
कांग्रेस विधायक और भाजपा विधायक का मिलन रविवार को बोकारो में भाजपा विधायक के आवास पर हुआ। इस दाैरान दोनों ने एक साथ बैठकर चाय पी। भाजपा विधायक ने कांग्रेस विधायक को शालओढ़ाकर सम्मानित भी किया। मामले ने तब राजनीतिक रंग ले लिया जब जिले के कांग्रेस नेता मनोज कुमार ने बयान जारी किया कि इस दौरान बिरंची से जामताड़ा के नारायणपुर दिघारी में हुई घटना के मामले में दर्ज केस वापस लेने पर चर्चा हुई और बिरंची ने सहमति जताई है। मनोज का कहना था कि अगस्त 2017 में बिरंची की तिरंगा यात्रा के दौरान किसी कारणवश वहां भगदड़ मच गई थी लेकिन वहां के बेगुनाह लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद जब दोनों विधायकों से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हम दोनों अलग-अलग दल से जरूर हैं लेकिन अच्छे मित्र हैं।
इरफान ने कहा- बिरंची से हमने सामान्य रूप से आग्रह किया और जामाताड़ा आने का न्योता दिया है। आकर मामले को सुलझाने की बात कही है। इधर, बिरंची ने इस प्रकार की चर्चा से इन्कार किया। कहा- डॉ. इरफान ने बोकारो आकर उन्हें परिसदन से कॉल किया तो मैंने चाय पर बुला लिया। इस दौरान दूसरी बातें हुईं मगर दिघारी की घटना व केस को लेकर कोई बात नहीं हुई। यह भी कहा कि यदि इरफान ऐसा कह रहे हैं तो गलत है। अपने घर में बिरंची ने अंसारी को शॉल देकर सम्मानित भी किया। मालूम हो कि अगस्त 2017 में जुम्मन मोड़ के पास दिघारी में तिरंगा यात्रा पर पथराव किया गया था। तब भाजपाइयों ने इरफान पर सुनियोजित साजिश के तहत जानलेवा हमला कराने का आरोप लगाया था। तिरंगे को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रद्रोह की एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
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