अब रिजर्व बैंक ने भी माना, इस साल नेगेटिव रहेगी भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट


भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी आखिरकार यह स्वीकार कर लिया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ग्रोथ नेगेटिव रहेगी यानी इसमें गिरावट आएगी. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से इसके पहले लगातार कई रेटिंग एजेंसियां ऐसा आकलन कर चुकी हैं, लेकिन रिजर्व बैंक जीडीपी पर अपना कोई अनुमान पेश करने से बचता रहा था.

क्या कहा रिजर्व बैंक ने

कोरोना से उपजे हालात पर एक बार फिर विचार करने के लिए मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई ऐलान किए. उन्होने कहा, 'वित्त वर्ष 2021 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट आएगी और यह नेगेटिव रह सकता है.'

कोरोना की वजह से बढ़ा संकट

कोरोना संकट को देखते हुए मोदी सरकार ने करीब 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था. देश के सामने इस पैकेज का ब्यौरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रख चुकी हैं. अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट कटौती का ऐलान किया है. इस कटौती के बाद आरबीआई की रेपो रेट 4.40 फीसदी से घटकर 4 फीसदी हो गई है. इसके साथ ही लोन की किस्‍त देने पर 3 महीने की अतिरिक्‍त छूट दी गई है. मतलब कि अगर आप अगले 3 महीने तक अपने लोन की ईएमआई नहीं देते हैं तो बैंक दबाव नहीं डालेगा.

मूडीज ने किया था ये अनुमान

कोरोना काल में देश की इकोनॉमी का संकट बढ़ता जा रहा है. दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत की इकोनॉमी ग्रोथ को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स ने हाल में आशंका जताई थी कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर शून्य रह सकती है.

एजेंसी ने अपने नए पूर्वानुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि शून्य रह सकती है. इसका अर्थ है कि देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में सपाट रहेगी. एजेंसी ने हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर के 6.6 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया है. बता दें कि मूडीज ने पिछले महीने के अंत में कैलेंडर वर्ष 2020 में जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 0.2 फीसदी कर दिया था.

लॉकडाउन के बीच सरकार ने मार्च में 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी. एजेंसी ने इस बारे में कहा कि इन उपायों से भारत की आर्थिक नरमी के असर और अवधि को कम करने में मदद मिल सकती है.

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