LIC का IPO आने से हो सकते हैं ये फायदे, मार्च 2021 से पहले लाने का लक्ष्य


भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आईपीओ की काफी चर्चा है. इसको लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं, लेकिन इससे कुछ फायदे भी होंगे. यह आईपीओ अगले साल मार्च तक लाने का लक्ष्य है. आपको बताते हैं कि वे फायदे क्या हो सकते हैं.

बढ़ेगी पारदर्श‍िता

रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि LIC के प्रस्तावित आईपीओ से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की जवाबदेही और पारदर्शिता बेहतर होगी. एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के संबंध में वित्त सचिव राजीव कुमार ने बजट के बाद बताया था कि LIC को अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सूचीबद्ध किया जाएगा. यानी मार्च 20121 से पहले LIC का आईपीओ आएगा. हालांकि फिच का कहना है क‍ि आईपीओ आने में कुछ देरी हो सकती है.

अपनी हालिया रिपोर्ट में फिच ने कहा, 'एलआईसी अधिनियम के कुछ वर्गों में संशोधन के बाद कानूनी अड़चनें, स्वतंत्र मूल्यांकन करने के साथ ही रेगुलेटरी मंजूरी हासिल करने से मार्च 2021 के अंत में सरकार के तय लक्ष्य से कुछ देरी हो सकती है.'

इसी तरह 2018 में, सरकार ने सरकारी क्षेत्र की तीन गैर-जीवन बीमा कंपनियों - नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को मर्ज करने के अपने फैसले की घोषणा की थी और बाद में उन्हें शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया. बीमाकर्ताओं की कमजोर पूंजी क्षमता सहित कई कारकों के कारण लगभग एक साल की देरी के बाद इनकी विलय प्रक्रिया 2020 में समाप्त होने की संभावना है.

इससे पहले सरकार ने 2017 में देश की दो सबसे बड़ी बीमा कंपनियों न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी और जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को एक आईपीओ मार्ग के माध्यम से सूचीबद्ध किया था.

पूरे बीमा सेक्टर को फायदा

एलआईसी के आईपीओ से पूरे बीमा उद्योग को फायदा होगा. फिच ने कहा कि इसका लाभ संभवत: पूरे बीमा उद्योग को मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि उद्योग अधिक विदेशी पूंजी आकर्षित कर पाएगा, जिससे देश में विदेशी पूंजी का प्रवाह भी बढ़ेगा.

और कंपनियों का भी आएगा आईपीओ

फिच ने उम्मीद जताई है कि एक बार एलआईसी का आईपीओ आने के बाद निजी क्षेत्र की कुछ बीमा कंपनियां भी मध्यम अवधि में अपने शेयरों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने को प्रोत्साहित होंगी. हालांकि मौजूदा रेगुलेशन के तहत सभी बीमा कंपनियों के लिए सूचीबद्ध होना अनिवार्य नहीं है.

क्या होता है आईपीओ

जब भी कोई कंपनी या सरकार पहली बार आम लोगों के सामने कुछ शेयर बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है. यानी एलआईसी के आईपीओ को सरकार आम लोगों के लिए बाजार में रखेगी. इसके बाद लोग एलआईसी में शेयर के जरिए हिस्सेदारी खरीद सकेंगे.

CEA ने दी है ये जानकारी

सरकार के मुख्य आर्थ‍िक सलाहकार (CEA) केवी सुब्रमण्यम ने हाल में संकेत दिया था कि सरकार इसकी 6 से 7 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 90 हजार करोड़ रुपये जुटा सकती है. इसका मतलब यह है कि सरकार पूरी कंपनी का वैल्यूएशन 13 से 15 लाख करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद कर रही है.

बजट में क्या था ऐलान

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए यह ऐलान किया था कि एलआईसी को शेयर बाजार में उतारा जाएगा यानी उसका आईपीओ लाया जाएगा. बजट 2020-21 में विनिवेश प्रक्रिया से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

योजना के मुताबिक इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश और 90 हजार करोड़ रुपये बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं के विनिवेश से हासिल करने का लक्ष्य है. पहले यह कहा गया था कि 90 हजार करोड़ रुपये LIC और IDBI Bank के विनिवेश से हासिल होंगे, लेकिन अब सुब्रमण्यम ने यह साफ किया है कि यह पूरी राश‍ि अकेले एलआईसी के विनिवेश से हासिल होगी.

कितना है एलआईसी का एसेट

फिलहाल एलआईसी का कुल एसेट करीब 34 लाख करोड़ रुपये है. जीवन बीमा कंपनियों का बाजार मूल्य कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे नया बिजनेस प्रीमियम, एम्बेडेड वैल्यू,एंटरप्राइजेज वैल्यू, एसेट अंडर मैनेजमेंट का कुछ हिस्सा आदि.
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