निर्भया केस: दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया जाए या नहीं, दिल्ली HC आज सुनाएगा फैसला


निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. इस बाबत केंद्र और तिहाड़ जेल प्रशासन ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें निर्भया कांड के दोषियों की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है.

निर्भया मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा पर अनिश्चितकालीन रोक को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. निर्भया केस पर दिल्ली हाई कोर्ट दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर फैसला सुनाएगा.

दिल्ली हाई कोर्ट कोर्ट तय करेगा कि दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया जाए या अलग-अलग. दरसअल केंद्र सरकार ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि चारों दोषी न्यायिक तंत्र का गलत फायदा उठा कर फांसी को टालने की कोशिश कर रहे हैं.

किसी एक दोषी की याचिका लंबित होने पर बाकी 3 दोषियों को फांसी से राहत नहीं दी जा सकती है.  इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को विशेष सुनवाई करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

22 जनवरी को पहली बार टली थी फांसी

चार दोषियों -विनय, पवन, अक्षय और मुकेश- को पहले 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जाने वाली थी और बाद में यह समय बदलकर एक फरवरी को सुबह छह बजे कर दिया गया. लेकिन 31 दिसंबर को मुकेश की ओर से ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की गई कि अन्य दोषियों ने अभी तक अपने कानूनी उपायों का उपयोग नहीं किया है और उन्हें अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती.

दोषी अक्षय की याचिका है लंबित

इस मामले में तीन लोगों की क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है जबकि मुकेश और विनय की दया याचिका भी राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है. जबकि अक्षय की दया याचिका फिलहाल राष्ट्रपति के पास लंबित है. दोषियों की तरफ से नई- नई याचिका लगाने और कोर्ट में उनके लंबित रहने के चलते ही दो बार उन्हें फांसी दिए जाने के लिए जारी किया गया.

इसलिए रोका गया डेथ वारंट

लंबित याचिकाओं की वजह से डेथ वारंट भी पटियाला हाउस कोर्ट को रोकना पड़ा है. 1 फरवरी को इन चारों को फांसी देने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट जारी कर चुका था. विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते पटियाला हाउस कोर्ट को डेथ वारंट को रोकना पड़ा था.

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