Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति को सूर्य पूजा के साथ करें दान, होगी अक्षय पुण्य की प्राप्ति


15 जनवरी 2020 दिन बुधवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. मकर सक्रांति के दिन स्नान, दान के साथ भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. पदम पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि देने का शास्त्रों में विधान है. इस मकर संक्रांति के पुण्य काल में किए गए दान-पुण्य सामान्य दिन के दान-पुण्य से करोड़ों गुना ज्यादा फल देने वाला होता है.

शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रांति के समय सूर्य का रथ दक्षिण दिशा की ओर मुड़ जाता है. इससे सूर्य का मुख दक्षिण दिशा की ओर एवं पीठ हमारी ओर होती है, इसके विपरीत मकर सक्रांति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अर्थात् सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की ओर) हो जाता है. फलतः सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है और सूर्य देव हमारे अति निकट आने लगते हैं.

सूर्य के उत्तरायण होने का अ​र्थ

मकर सक्रांति सूर्य उपासना का अत्यंत महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट एक मात्र पर्व है. यह एक ऐसा पर्व है, जो सूर्य से सीधे संबंधित है. मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं. कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है.

देवताओं का 6 महीने का होता है दिन और रात

सनातन धर्म के अनुसार, उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के 6 महीने को देवताओं की एक रात्रि माना गया है.

सूर्य पूजा की विधि

मकर संक्रांति के प्रातः काल स्नान करने के बाद सूर्यदेव के सामने जल लेकर संकल्प करें. इसके पश्चात एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाएं. इसके पश्चात उसमें सूर्य की मूर्ति स्थापित कर उनका स्नान कराएं. अब गंध, पुष्प, धूप तथा नैवेद्य से पूजन करें। इसके बाद ओम सूर्याय नमः मंत्र से जाप करें। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ कर घी, शक्कर तथा मेवा मिले हुए तिलों का हवन करें. इनका दान भी करें.

मकर संक्रांति को दान

इस दिन घृत और कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का दो-गुना अधिक महत्व है.

मकर संक्रांति को खिचड़ी

मकर संक्रांति व्रत को खिचड़ी भी कहते हैं, इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने तथा खीचड़ा तिल दान देने का विशेष महत्व माना जाता है.

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