अमेरिकी नागरिकों से ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का झरिया पुलिस ने किया भंड़ाफोड़


झरिया के पूर्व नगर पार्षद रुस्तम अंसारी के पुत्र बंटी अंसारी ने 18 लोगों के साथ मिल कर अमेरिकी नागरिकों के साथ साइबर ठगी की है. इंटरनेट वॉयस कॉल और मैसेज के जरिए झरिया में रुस्तम अंसारी के गैरेज से अमेरिकी नागरिकों को हरेक महीने 40 हजार डॉलर का चूना लगाया जा रहा था. पुलिस ने इस मामले में रुस्तम अंसारी के बेटे बंटी अंसारी समेत 18 लोगों को हिरासत में लिया है. गैरेज से दो लक्जरी वाहन, 35 लैपटॉप, सीडी, दर्जनों मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, डेस्कटॉप कंप्यूटर समेत कई चीजें जब्त की गई हैं. पुलिस को यकीन है कि अनुसंधान आगे बढ़ेगा तो और भी चौंकाने वाली जानकारी मिलेगी.

पुलिस को भनक लगी थी कि ऐना इस्लामपुर से हाईटेक तरीके से साइबर ठगी की जा रही है. मासस नेता रुस्तम अंसारी के बेटे बंटी अंसारी का नाम आया तो एसएसपी किशोर कौशल ने पहले ऐना इस्लामपुर की घेराबंदी करा दी. इसके बाद साइबर डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा के नेतृत्व में छापा मारा गया. अमेरिकी नागरिकों से साइबर ठगी की बात सामने आई तो पुलिस भौंचक रह गई. हिरासत में लिए गए कुछ लोगों को धनसार थाना भेजा गया तो कुछ को झरिया. सबको अलग अलग थानों में ले जाकर पूछताछ शुरू की गई. मालूम चला कि हाईटेक साइबर ठगी का मास्टर माइंड झरिया का ज्वाला सिंह और विक्रांत सिंह हैं, जो कोलकाता के कॉल सेंटर में काम कर चुके हैं. ये अमेरिकी नागरिकों के मिजाज को समझते हैं. अमेरिकी नागरिकों के लिहाज से बोलने में भी माहिर हैं। पुलिस ने बंटी अंसारी, बिट्टू अंसारी, दानिश अंसारी, ज्वाला सिंह, बादशाह, वकील राणा, सनी सिपाही व विक्रांत कुमार रमन समेत और लोगों से पूछताछ कर रही है। प्रारंभिक पूछताछ में यह बात आई कि ऑनलाइन ठगी का यह खेल छह माह से चल रहा था.

इंटरनेट वॉयस सिस्टम का किया जाता था इस्तेमाल

झरिया के साइबर अपराधी कुछ कंपनियों से अमेरिकी नागरिकों का डाटा बेस खरीदते थे. डाटा बेस में उन्हें अमेरिकी नागरिकों की सारी जानकारी मिल जाती थी. झरिया के साइबर ठग आम तौर पर बूढ़े लोगों को टारगेट करते थे. इंटरनेट के जरिए इंटरएक्टिव वॉइस रिस्पांस सिस्टम के तहत मोबाइल नंबर पर पहले मैसेज भेजा जाता था. इसमें संदेश होता था कि जो निर्देश दिए जा रहे हैं, उनका पाल करें, नहीं तो कुछ मिनटों में आपके एकाउंट से कुछ डॉलर काट लिए जाएंगे. साथ ही एक टोल फ्री नंबर दिया जाता था ताकि मदद की जा सके. जैसे ही टोल फ्री नंबर पर अमेरिकी नागरिक कॉल करते थे, उन्हें बताया जाता था कि कॉल कैलीफोर्निया या टैक्सास से हो रही है, जबकि अपराधी झरिया के ऐना इस्लामपुर में बैठ कर उनसे बात करते थे. बातचीत के बाद मैसेज दिया जाता था कि उनके एकाउंट में कुछ डॉलर भेज दिए गए हैं. कुछ देर बाद फिर मैसेज दिया जाता था कि जरुरत से अधिक डॉलर चले गए हैं, उन्हें वापस करना होगा. इसके लिए अमेरिकी नागरिकों से गिफ्ट कार्ड का नंबर समेत उससे संंबंधित और जानकारी मांगी जाती थी. फिर कहा जाता था कि उनसे नेट के जरिए जुड़ जाये ताकि अतिरिक्त भेजी गई राशि ली जा सके। साथ ही एक लिंक भेजा जाता था. उसे अमेरिकी नागरिक क्लिक करते थे तो टीम विवर एप के जरिए उनके कंप्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन झरिया में बैठे साइबर अपराधी देखते थे. झरिया के साइबर ठग इसके बाद डॉलर लेते थे. कोलकाता के कुछ बिचौलियों के जरिए डॉलर को भारतीय रुपए में परिवर्तित कराया जाता था। इसमें कौन लोग शामिल थे? बंगाल पुलिस के साथ मिल कर यह पता लगाया जा रहा है.

झरिया के साइबर अपराधियों ने अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया है. उनके  साथ ठगी की है. इस बात उन लोगों ने कबूला है। और अनुसंधान करना होगा। इसके बाद पूरे नेटवर्क का खुलासा होगा.

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