ममता बनर्जी के फोन टैपिंग के आरोप पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ का पलटवार


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगाए गए फोन टैपिंग के आरोप पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री कह रही हैं कि उनके पास आरोपों को साबित करने को पुख्ता सुबूत हैं. खैर, उनके पास क्या सुबूत हैं यह तो वहीं जानें. लेकिन राज्य के व्यवसायी, सियासी नेताओं के साथ ही बड़े अधिकारियों ने मुझसे मुलाकात कर उन्हें पेश आ रही समस्याओं से अवगत कराते हुए कहा कि उनके खिलाफ यहां साजिश के तहत जासूसी की जा रही है, जो उनकी निजता का हनन है.

धनखड़ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को केंद्र की मोदी सरकार का सही फैसला करार देते हुए कहा कि इसका विरोध करने वालों को पहले अपनी गिरेबां में झांकने की जरूरत है. यहां तो महज सियासी लाभ को हिंसा का सहारा लिया जाता है. इसके मौकेवार प्रमाण भी देखने को मिले हैं .मीडिया के कैमरों में हकीकत कैद है. इसके इतर उन्होंने कहा कि यह पहला ऐसा राज्य है, जहां राज्यपाल को दीपावली पर मुख्यमंत्री शुभकामनाएं नहीं देतीं और न ही सरकारी समारोहों में उन्हें बुलाया जाता है.

पार्थ चटर्जी ने जगदीप धनखड़ पर साधा निशाना

वहीं, राज्यपाल की टिप्पणी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि जिस तरह से राज्यपाल मुख्यमंत्री के आरोपों पर पलटवार कर रहे हैं, उससे यह लगाता है कि वे राज्यपाल नहीं, बल्कि किसी सियासी दल के नेता हैं. उन्हें तो उन अधिकारियों के नामों का भी खुलासा करना चाहिए, जिन्होंने उनसे उनकी निजता के हनन की बात कही है.

जानें, क्या कहा था ममता बनर्जी ने

दरअसल, शनिवार को राज्य सचिवालय नवान्न में मीडिया कर्मियों से मुखातिब होने के दौरान राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि उनका फोन टेप किया गया और उनके पास इस आरोप को साबित करने को पुख्ता सुबूत भी है. हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस मामले को केंद्र के सामने उठाएंगी? उन्होंने कहा कि वहां उठाने के लिए क्या है? सरकार को तो पता है. सरकार ने ही तो कराया है.

ममता ने आरोप लगाया कि केंद्र के साथ ही अन्य दो राज्यों ने भी उनका फोन टेप कराया है. जिसमें से एक भाजपा शासित राज्य है. हालांकि, उन्होंने राज्यों के नामों का खुलासा नहीं किया. इससे पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आरोप लगाया था कि केंद्र की मोदी सरकार ने वाट्सएप के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था.

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