इतिहास बना माटीगाड़ा रेलवे स्टेशन, एक साल से नहीं रुक रही हैं ट्रेनें


सिलीगुड़ी से मात्र पांच किलोमीटर दूर स्थित माटीगाड़ा रेलवे स्टेशन इतिहास के पन्नों के सिमटता जा रहा है. स्टेशन भवन भी अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. प्लेटफार्म के दोनों ओर स्टेशन पर माटीगाड़ा लिखे हुए बड़े-बड़े बोर्ड से ही लगता है कि यह माटीगाड़ा रेलवे स्टेशन है. भारतीय रेलवे के स्टेशनों के तालिका में माटीगाड़ा रेलवे स्टेशन का नाम भी है. इन सब के बाद भी एक्सप्रेस ट्रेन को कौन पूछे, एक साल से यहां पैसेंजर ट्रेन भी नहीं रुक रही है.

स्थानीय लोगों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार एक साल पहले तक डेमू ट्रेन रुकती थी. लेकिन एक साल से यहां कोई ट्रेन नहीं रुक रही है. इस कारण स्टेशन का टिकट काउंटर, यात्री प्रतीक्षालय, स्टेशन मास्टर का कार्यालय पूरी तरह से परित्यक्त अवस्था में पड़ा हुआ है. स्टेशन भवन का जो रंग-रोगन किया गया था, वह मरम्मतीकरण के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहा है. रख-रखाव के अभाव में गंदगी फैली हुई है। स्टेशन व यहां बने विभिन्न कमरों पर असामाजिक तत्वों का कब्जा है. किसी भी समय नशीली दवाओं का सेवन करने वाले ड्रगिस्ट वहां देखे जा सकते हैं। प्लेटफॉर्म एक ओर के हिस्से पर उन लोगों ने कब्जा कर वहां अपना आश्रय बना लिया है.

रेलवे के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी जंक्शन से बागडोगरा, नक्सलबाड़ी, राधिकापुर, बालूरघाट व किशनगंज वाया अलुआबाड़ी रोड जाने वाली पैसेंजर ट्रेने माटीगाड़ा स्टेशन पर रूकती थी. प्रत्येक दिन सुबह यात्री यहां आते थे. दोपहर में इस स्टेशन से यात्री बालुरघाट, राधिकापुर, किशनगंज से आते व जाते थे. शाम 4 बजे इंटरसिटी एक्सप्रेस का इंतजार किया करते थे. अब माटीगाड़ा से यात्रियों को डेमू अथवा इंटरसिटी एक्सप्रेस पकड़ने के लिए सिलीगुड़ी जंक्शन या बागडोगरा जाना पड़ता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि डेमू ट्रेन शाम 4 बजे और शाम 5 बजे यहां रुकती थी. स्टेशन से नजदीक ही माटीगाड़ा हाट है. जब ट्रेन यहां रुकती थी, तो हाट में सामान बेचने के लिए व्यवसायी यहां आते थे। ठहराव खत्म कर देने के बाद छोटे-छोटे व्यवसायियों को भी सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है. यदि ट्रेन सुचारू रूप से चलती है, तो शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या से लोगों को निजात मिलती.

सिलीगुड़ी जंक्शन के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार माटीगाड़ा को हाल्ट स्टेशन का दर्जा दिया गया था। एक साल पहले तक पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव था. माटीगाड़ा में यात्रियों की कम संख्या होने के चलते यहां पर ट्रेनों का ठहराव रेलवे ने खत्म कर दिया. अब भी जब ट्रेन माटीगाड़ा स्टेशन पहुंचती है तो माटीगाड़ा के यात्री चलती ट्रेन से उतरने की कोशिश करते हैं, जिससे वह ट्रेन से गिरकर घायल हो जाते हैं. स्थानीय निवासियों ने कहा माटीगाड़ा स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव खत्म होने के बाद स्टेशन की ओर जाने वाले की सड़क संकरी हो गई है.

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