अस्थमा सांस की नली को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बिमारी है. इस बिमारी में सांस की नली में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में मुश्किल आती है. ये बीमारी पिछले कुछ सालों में कई लोगों को शिकार बना चुकी है. खासकर जो लोग शहरों में रहते हैं उन्हें ये बीमारी आसानी से चपेट में ले सकती है। वजह है शहरों में बढ़ता प्रदूषण.
आइए इस लेख के माध्यम से हम जानते हैं कि अस्थमा आखिर क्या है और इस बीमारी के लक्ष्ण क्या होते हैं.
दमा है क्या?
इसे समझने के लिए फेफड़ों की बनावट को समझना होगा. सांस की मुख्य नली यानी विंड पाइप गले से उतरकर फेफड़ों तक जाती है. यह मोटे कार्टिलेज की बनी होती है, इसलिए सिकुड़ती नहीं. वहीं, श्वास नलिकाओं की दीवारें पतले कार्टिलेज की बनी होती हैं, इसीलिए सिकुड़ सकती हैं. इन नलिकाओं में हुए इन्फेक्शन के नतीजतन सूजन और सिकुड़न आती है, जो सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है. फेफड़ों तक साफ हवा पहुंचाने वाली नलिकाएं पतली हो जाएंगी, तो दम फूलेगा और इंसान सांस लेने की कोशिश में तड़पने लगेगा। यही है दमा यानी अस्थमा.
इन कारणों से अस्थमा की संभावना बढ़ जाती है:
- माता या पिता को अस्थमा होना
- एलर्जीय राइनाइटिस या एटोपिक डार्माटाइटिस जैसी अन्य एलर्जी स्थितियां होने के कारण
- अत्यधिक धूम्रपान
- प्रदूषण या धुएं का वातावरण
- ऐसा व्यवसाय जिसमें रसायन से निपटना शामिल है
लक्षण कैसे पहचानें
- सदा कफ बना रहे
- सफेद गाढ़ा बलगम आता हो
सांस लेने पर घर्र-घर्र की आवाज़
- लगे जैसे सीने पर किसी ने कसकर कपड़ा बांध दिया हो
ऐसे अहसास दमे के मुख्य लक्षणों में से हैं।
कैसे होता है दमा?
कई बार किसी ख़ास एलर्जी के सम्पर्क में आने पर खांसी, छींकें या नाक से पानी आने को ज़्यादा समय तक नज़रअंदाज़ करना घातक साबित हो सकता है. एलर्जी की वजह से सांस की नलियां सूजने लगती हैं, सिकुड़ती हैं और बाद में उनकी भीतरी दीवारें लाल हो जाती हैं. उन पर बलगम जमने से खांसी होने लगती है। इसी को कहते हैं इनफ्लेमेशन.