कब्जा करने वालों ने बना ली थी अपनी अदालतें और जेल


मथुरा: पिछले दिनों टकराव का केंद्र बने मथुरा के जवाहरबाग पर कब्जा जमाने वालों ने ‘‘अदालतें और जेल बैरक’’ बनाकर प्रशासन की अपनी एक अलग व्यवस्था कायम कर ली थी। अपने नियमों को तोड़ने पर वे ‘‘कैदियों’’ को यातना और सजा भी देते थे। इन अतिक्रमणकारियों ने भारत का संविधान और कानून मानने से इनकार कर दिया था। आगरा जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) दुर्गा चरण मिश्रा ने बताया, ‘‘उन्होंने अपनी बस्ती बसा ली थी और वहां खाने की चीजें मुहैया कराई जाती थीं। उन्होंने सरकार चलाना शुरू कर दिया था। उन्होंने लोगों को सजा देना और उन्हें यातना देना शुरू कर दिया था। उन्होंने जेल बैरकें, अदालतें बना ली थीं और प्रवचन केंद्र एवं तख्त का भी निर्माण कर लिया था।’’


बहरहाल, आगरा संभाग के आयुक्त प्रदीप भटनागर ने कहा कि हथियारबंद गुंडों के तीन-चार समूह बना दिए गए थे, जिसे वे ‘बटालियन’ कहते थे। आईजी ने कहा, ‘‘जब भी कोई आम आदमी या अधिकारी अंदर जाता था तो वे उस पर हमला कर देते थे। वे अपने अनुयायियों को किसी भी हालत में बाहर कदम नहीं रखने देते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें बाहर जाने के लिए लिखित परमिट दिया जाता था और उन्हें बाहर जाने की इजाजत तभी दी जाती थी यदि बाहर से कोई वहां आता था। उन्हें सिर्फ एक-दो दिन के लिए जाने की अनुमति दी जाती थी।’’

गुरुवार को पुलिस और आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही नाम के संदिग्ध संगठन के करीब 3,000 अनुयायियों के बीच झड़प हो गई थी। इस संगठन ने 260 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा जमा लिया था। झड़प में मथुरा के सिटी एसपी और एक एसएचओ सहित 24 लोग मारे गए थे। यह झड़प उस वक्त हुई थी जब पुलिस जमीन से कब्जा हटाने के लिए गई थी। यह पूछे जाने पर कि क्या वहां नक्सल इलाकों से भी लोग आते थे, इस पर आईजी ने कहा, ‘‘हां, वहां छत्तीसगढ़ से लोग आते थे।’’ आईजी ने कहा, ‘‘उनका मकसद लोगों को धार्मिक कट्टरपंथ या धार्मिक आतंकवाद, आप इसे चाहे जो कह लें, की तरफ ले जाना था। वे अपनी मुद्रा शुरू करने की योजना बना रहे थे। वे देश के संविधान या कानून का पालन नहीं करना चाहते थे। वे कहते थे कि वे अधिकारियों से बात नहीं करते और उनके अधिकार को नहीं मानते।’’

जिलाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी की अगुवाई में रेकी के लिए गई पुलिस टीम पर हमले के बाद जवाहर बाग से अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने की योजना अमल में लाई गई। खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रास्ते पर चलने वाला संप्रदाय करार देने वाले आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही की मांगें अजीबोगरीब रही हैं। यह संगठन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हटाने और भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल बंद करने की मांग करता रहा है।
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