परंपरागत विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुले

देहरादून : भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ के कपाट शुक्रवार सुबह परम्परागत विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार और सेना के बैण्ड की धुन के बीच ग्रीष्मकाल में दर्शन के लिए खुल गये। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 21 अप्रैल को खुल गये थे और बद्रीनाथ के कपाट 26 अप्रैल को खुलने हैं।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के अनुसार, पूर्व निर्धारित लग्नानुसार शुक्रवार सुबह 8.50 बजे रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन और मंदिर समिति के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में समुद्रतल से 3581 कि.मी. की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर के सीलबन्द कपाट खोले गये। इसके साथ ही मंदिर में दर्शन कार्यक्रम शुरू हो गया।
आज प्रात: जिला प्रशासन, मंदिर समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के दक्षिणी गेट की सील खोली गयी। फिर रावल, मुख्य पुजारी मंदिर समिति के कर्मचारियों और हक-हकूकधारियों के मंदिर में प्रवेश के बाद गर्भ गृह पर लगी सील खोली गयी। इसके बाद मुख्य द्वार भी खोला गया। 25 अप्रैल को भैरवनाथ के कपाट खोलने के बाद केदारनाथ में सुबह की दैनिक पूजा एवं अन्य विधि विधान संपन्न किए जाएंगे।
गोदियाल के अनुसार, इस अवसर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यपाल डॉ के.के. पॉल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अंबिका सोनी, जितिन प्रसाद और राज्य कैबिनेट के कई सदस्य उपस्थित थे। इन दिनों पूरा केदारनाथ धाम बर्फ की मोटी चादर से ढका हुआ है। इस अवसर पर प्रख्यात सूफी गायक कैलाश खेर भी धाम में मौजूद थे।
शीतकाल में केदार की पूजा उनके शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है। वहां से केदार की डोली गुरुवार शाम ही केदारधाम पहुंच गई थी। केदारनाथ जाने के लिये ऋषिकेश से 207 कि.मी. तक वाहन से गौरीकुण्ड तक जाना पड़ता है तथा वहां से लगभग 19 कि.मी. की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बैकुण्ठ धाम के नाम से भी विख्यात बद्रीनाथ के कपाट 26 अप्रैल को खुल रहे हैं।
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